Saturday, November 28, 2009

बात

अभी अभी बात चली है

बात के साथ बात चली है

इस बात में बात जुड़ी है

बात से बात भड़ी है

जितने मुहँ उतनी बात बनी है

बात बात का फेर है

कोई समझे इशारो में बात

कोई ना समझे कहने से भी बात

बात बड़ी गंभीर है

इससे बड़ी और क्या बात है

जीवन में बातों का ही तो साथ है

यही सबसे अच्छी बात है

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