Thursday, May 20, 2010

मासूम परी

देखे हजारों गुलाब

पर देखा ना तुम सा शबाब

ओस की शबनमी बूंदों में लिपटी

खिलती कलि

लग रही थी मासूम परी

सिमट आयी सारी कायनात जैसे

बनके गुलाब की पंखुरी

महक उठी फिजा

फूल बन गयी कलि

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