Thursday, December 13, 2012

घटायें

बड़ी ही असमंजस की है ये बात

चलती है घटायें मेरे साथ भी

कुछ पल को ठहर जाऊ जो कहीं

रिम झिम बरस जाती है घटा वही

इसे महज ये इतेफाक कहूँ या संजोग

कुदरत की है पर ये अद्भुत देन

मरुभूमि की प्यासी धरती में भी

घुमड़ आती है घटाओं की छाया

जब पड़ते है चरण वहाँ

बदल जाती है वहाँ की साया

पर सच है यही 

चलती है घटायें मेरे साथ भी





 

2 comments:

  1. sundar abhivyakti मरुभूमि की प्यासी धरती में भी

    घुमड़ आती है घटाओं की छाया

    जब पड़ते है चरण वहाँ

    बदल जाती है वहाँ की साया

    पर सच है यही

    चलती है घटायें मेरे साथ भी

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