Tuesday, January 20, 2015

ऊँची उड़ान

अधखुली पलकों के खाब्ब अभी बाकी है

क्योंकि  सपनों की ऊँची उड़ान अभी बाकी है

स्वछंद विचरण करुँ परिंदो की तरह

उड़ता फिरुँ गगन भर

डोर इस खाब्ब की थामनी अभी बाकी है

छूने मंजिल को आतुर

सपनों का संसार अभी बाकी है

खाब्बों के इस तिलसिम के

कई अधखुले राज अभी बाकी है

कई अधखुले राज अभी बाकी है

अधखुली पलकों के खाब्ब अभी बाकी है

क्योंकि  सपनों की ऊँची उड़ान अभी बाकी है

Tuesday, January 13, 2015

खोए पल

अक्सर हम कुछ लहमों  को जीते है

जवानी के कदमों में

बचपन की मासूमियत खोते है

दूर हो जाती है जिंदगी

अहसास जब तलक खोए पलों का होता है

खालीपन जब कचोटने लगता है

मुड़ कर देखना भी

नागवारा लगता है

क्योंकि हिसाब उन पलों का

आज भी आधा ही नजर आता है

आधा ही नजर आता है  

जात

मदमाती पवन की वेगों से

उनकी चाल ना पूछो

लह लहाती लहरों की वेगों से

उनकी धार ना पूछो

कब रुख बदल ले

कुदरत का यह करिश्मा

इससे इसकी जात ना पूछो

इससे इसकी जात ना पूछो

मोहब्बत की महक

उनकी नफ़रत से भी

मोहब्बत की महक आती है

कैसी ना जाने ये लगी है

ज़ालिम बददुआ भी दुआ नज़र आती है

ख़ामोश लबों से भी

लफ्जों की झलक आती है

घूँघट के झरोखों से भी

क़ातिल नजरें नज़र आती है

कफ़न के टूकड़े से भी

आँचल की झलक आती है

उनकी नफरत से भी

मोहब्बत की महक आती है