Sunday, July 15, 2018

भरोसा

यकीन खुद पर इतना रख

देख तेरे बुलंद हौसलें को

डर खुद अपने आप से इतना डर जाये

फ़िर कभी ख़ाब में भी डराने तुझे पास ना आये

याद रख इतना इस संसार में

कमजोरों की कोई पहचान नहीं

लक्ष्य से भटकों का कोई मुक़ाम नहीं

हारी बाज़ी जो जीत में पलट दे

उससे बड़कर कोई पहचान नहीं

जिंदगी के इस रण में

निराशा का कोई मुकाम नहीं

यकीन अगर खुद पर हो तो

सौ सौ चक्रव्यूह भेदना भी नामुमकिन सवाल नहीं

इसीलिए

खुद के भरोसे से ऊपर भगवान भी विराजमान नहीं     


1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2018) को "हरेला उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार" (चर्चा अंक-3035) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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