Saturday, September 1, 2018

इशारे

आँखों के इशारों से 

क्या खूब खत लिखें उन्होंने

भाषा ख़त की परिभाषा

मानों नयनों के रंगो में रंग गयी

आँखे लबों के अल्फ़ाज़

और इशारें खतों के पैगाम बन गयी

पलकों में सपनों की तरन्नुम

ऐसी फिर रच बस गयी

हर आरज़ू की तम्मना

उनके इशारों की रह गुजर बन गयी

मानों जैसे हर इशारों के नूर से

ख़ुदा रूह में उतर गयी

कहदी बात दिल की उन्होंने

इशारों ही इशारों में

लड़ते रहे पेंच नयनों के

खतों के इन खूबसूरत लिफाफों से

बरसते रहे पैगाम

नयनों के इन हसीन इशारों से

बंद ना हो पलक

ओझल ना हो संदेश

नयनों  के इन हसीन गलियारों से 

नयनों  के इन हसीन गलियारों से 




3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-09-2018) को "महापुरुष अवतार" (चर्चा अंक-3082) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. निमंत्रण विशेष :

    हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।

    यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !

    'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    ReplyDelete