Monday, March 11, 2019

एक तरफ़ा

दुनिया मुरीद हैं मेरे अफसानों की

चाँद सितारों से इश्क़ फ़रमानें की

महबूब थी एक चाँद सी कभी

एक तरफ़ा था मगर अंदाज़ ए सफर

रुमानियत भरी थी पर इस दिल अज़ीज़ में

शरारत कहूँ या आँख मिचौली

कभी बन फिरती वो संग जैसे हो कोई हमजोली

कभी बनाता दिल चुपके से उसकी कोई रंगोली

कभी रंगता उसके रंग जैसे छाई हो होली

फ़िदा थी वो मगर किसी ओर की मौसिकी पे

नजरें इनायत थी उनकी किन्ही ओर की दहलीज़ पे

रास ना आयी उनको दिल्लगी मेरी ए

तरस गयी रूह, भटक गयी कहानी ए

ग़ज़ल रह गयी यह आधी अधूरी किसी मोड़ पर

दुआ फिर भी इनायत, उनकी सलामती के लिए हर मोड़ पर  

2 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
    नयी पोस्ट: तेरा सजदा करूँगा।

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  2. Wah!! maja a gaya aapki yeh kavita pad kar.

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