Wednesday, September 23, 2020

साँवला

रंग साँवला हैं मेरे महताब का l
सुन्दर सलोने अर्ध चाँद का ll

मधुर रस हैं बीना की तान का l 
सज रही धुनों की सुन्दर साज का ll

साँझ की धुंध अजान की धुन l
निखार रही रंग अस्त होते आफताब का ll

आलिंगन कर रही क्षितिज छाया l
बेकरार निमंत्रण उस पल पैगाम का ll 

आहट खत के पदचापों की l
बंद लिफ़ाफ़े में छिपी खुमारी की ll

दस्तक दे रही जल पानी को l
साँवली सलोनी ढलती रातों को ll

मुग्ध निशा प्रहर ठहर गयी l
सजी रहे जन्नत ताबीर हुस्न नज़ारों की ll

20 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. आदरणीय दिलबाग जी
      मेरी रचना को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  2. वाहह!! बहुत लाजवाब रचना।

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    1. आदरणीया पम्मी जी
      हौशला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
      आभार

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  3. वाहह!! बहुत लाजवाब रचना।

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    1. आदरणीया पम्मी जी
      हौशला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
      आभार

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  4. Replies
    1. आदरणीय सुशील जी
      सर आपकी हौशला अफजाई एक नई सुबह लेकर आती है , शुक्रिया सर
      आभार

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    1. आदरणीया दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  6. क्या बात है... उम्दा ।

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    1. आदरणीया अमृता दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  7. साँझ की धुंध अजान की धुन l
    निखार रही रंग अस्त होते आफताब का ll
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब सृजन।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  8. Replies
    1. आदरणीय शास्त्री जी
      सर्वप्रथम आपका बहुत बहुत धन्यवाद , आपके मार्ग दर्शन के चलते जाने माने साहित्यकार मेरे ब्लॉग पर आ मेरा उत्साह वर्धन कर रहे हैं, सदैव आपका आभारी रहूँगा l
      सर मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया l
      आभार

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    1. आदरणीय हिंदी गुरु जी
      दिल से शुक्रिया
      आभार

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  10. मुग्ध निशा प्रहर ठहर गयी l
    सजी रहे जन्नत ताबीर हुस्न नज़ारों की ll,,,,,,, बेहद बेहतरीन,

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    1. आदरणीया मधुलिका दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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