Sunday, March 7, 2021

संस्कार

धरोहर जो मिली विरासत में l
मेरुदंड सँवार लूँ संस्कारों में ll

गुंजयमान रहे पल प्रतिपल l 
प्रतिध्वनि चेतना संस्कारों की ll

ज़िक्र चलता रहे सदियों तलक l
संस्कृति उद्धभव से उथानों की ll

परिधि कोई इसे बाँध ना पाए l
प्रतिलिपि इसके पायदानों की ll 

सहेजू दास्तानें उस सुन्दर लेखनी की l 
टूट गयी ज़ंजीरें ग़ुलामी अविव्यक्ति की ll

विद्धेष अग्नि ज्वाला आतुर हो ना कभी l
विपरीत दिशा बहे प्रतिशोध कामना इसकी ll

लौ मशाल तमस चीरती रहे अज्ञानी की l
उम्मीद सृष्टि बँधी रहे अनुकूल किरणों की ll 

परिवेश सुगम सरल हो प्रावधानों की l
बहती रहे गंगा सुन्दर संस्कारों की ll

33 comments:

  1. सुंदर संदेशपूर्ण भावों भरी रचना..

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद
      सादर

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  2. बहुत सुन्दर सृजन ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद
      सादर

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  3. Replies
    1. आदरणीय शास्त्री सर
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  4. बहुत सुन्दर लेखन सर

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    1. आदरणीया प्रीति दीदी जी
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद
      सादर

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  5. आदरणीय सुशील भाई साब
    दिल सै शुक्रिया
    आभार

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  6. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 08 -03 -2021 ) को 'आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है' (चर्चा अंक- 3999) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. आदरणीय रविंद्र जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
      आभार

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  7. बेहतरीन रचना, बहुत बहुत बधाई हो आपको, महिला दिवस की बधाई हो

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    1. आदरणीया ज्योति दीदी जी
      आपको भी महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें , मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  8. बहुत सुंदर

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    1. आदरणीय ओंकार जी
      आपका तहे दिल से शुक्रिया
      आभार

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  9. लौ मशाल तमस चीरती रहे अज्ञानी की l
    उम्मीद सृष्टि बँधी रहे अनुकूल किरणों की ll

    परिवेश सुगम सरल हो प्रावधानों की l
    बहती रहे गंगा सुन्दर संस्कारों की ll

    बहुत खूब,लुप्त हो रही संस्कारों की लौ को फिर से जलाना जरुरी है।
    बेहतरीन सृजन

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया
      सादर

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  10. बहुत खूबसूरत रचना... मनोज जी ,

    परिधि कोई इसे बाँध ना पाए
    प्रतिलिपि इसके पायदानों की
    सहेजू दास्तानें उस सुन्दर लेखनी की
    टूट गयी ज़ंजीरें ग़ुलामी अविव्यक्ति की ...वाह

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    1. आदरणीया अलकनन्दा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  11. बहुत सुंदर रचना लिखी आपने ने। बधाई आपको।

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    1. आदरणीय वीरेन्द्र भाई साब
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  12. बहुत सुंदर सृजन
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
    सादर

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    1. आदरणीय ज्योति भाई साब
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  13. .....परिधि कोई इसे बाँध ना पाए..

    सच में संस्कारों की कोई परिधि नहीं
    बहुत खूबसूरत

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    1. आदरणीय अमित भाई साब
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  14. संस्कारों की सुंदर कामना

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    1. आदरणीय कुमार जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  15. परिवेश सुगम सरल हो प्रावधानों की l
    बहती रहे गंगा सुन्दर संस्कारों की ll
    वाह!!!
    सुन्दर कामना के साथ लाजवाब सृजन।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      हृदयतल से शुक्रिया
      सादर

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  16. Replies
    1. आदरणीय आलोक जी
      हृदयतल से शुक्रिया
      सादर

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  17. बेहद खूबसूरत सृजन ।

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    1. आदरणीया अमृता दीदी जी
      आपका दिल से शुक्रिया
      आभार

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