Thursday, July 3, 2025

आलिंगन

विभोर स्पर्श पलकों बंद आँखों स्पन्दन राज का l

विरह ओस बूँदों सी अधखुले नयनों साँझ का ll


विशृंखल कोमल अंकुरन सांझी हृदय राह का l

व्यग्र उच्छृंखल मन ढूंढ रहा साथ माहताब का ll


कशिश एक मौन फ़रियाद सुकून आवाज का l

आलिंगन खुद के लबों सजी अल्फाजों साज का ll


बेसब्र अनमोल दीवानगी जुनून मृदंग थाप का l

थिरकती उमंगें कहानियां किंवदन्ती रूह चाँद का ll


मोती संजो रहे ख्वाब तिलस्मी स्पंदन राज का l

पुनः आलिंगन ओस बूँदों मौन नयनों साँझ का ll