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POEMS BY MANOJ KAYAL

Thursday, October 16, 2025

अकेला समय

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स्पर्श स्पन्दन खामोश अधरों उलझेअधूरे अल्फाजों की l तस्वीर एक ही उकेरती सूनी सूनी पत्थराई आँखों की ll पैबंद लगी तुरपाई हुई काश्तकारी रूह इसके...
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Wednesday, September 3, 2025

वियोग

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तन्हा स्याह रातों को जब खुद से बातें करता हूँ l अश्कों तर लिहाफ़ आँचल आगोश सुला जाती हैं ll इबादत नूर दामन जिसके कबूल की थी जो रातें l वो वि...
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Wednesday, August 13, 2025

आघात

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आघात निष्काम निःशब्द खामोशी गूँज के l रक्त होली बहा गए सादी बैरंग किताबों के ll छुट गये कदमों निशाँ सभी गलियों मोड़ से l बूंदे सावन मिलने आय...
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Thursday, July 3, 2025

आलिंगन

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विभोर स्पर्श पलकों बंद आँखों स्पन्दन राज का l विरह ओस बूँदों सी अधखुले नयनों साँझ का ll विशृंखल कोमल अंकुरन सांझी हृदय राह का l व्यग्र उच्छृ...
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Friday, June 6, 2025

मृगनयनी

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उमड़ रही काली घनघोर घटाओं मझधार से l कानाफूसी कर्णफूलों सजी बैजंती झंकार से ll गुनाहों सी एक कंपकंपी हवाओं के रुखसार में l बेअसर डोरी थामे र...
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