RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, June 6, 2025
मृगनयनी
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उमड़ रही काली घनघोर घटाओं मझधार से l कानाफूसी कर्णफूलों सजी बैजंती झंकार से ll गुनाहों सी एक कंपकंपी हवाओं के रुखसार में l बेअसर डोरी थामे र...
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Thursday, May 8, 2025
बोलियाँ
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बोलियाँ मोगरे झूमके वाली वालियाँ फूलों की l साँझी आयतें अल्फाजों कारीगरी रूहों की ll खतों विरासत अस्तित्व स्पर्श चाँद स्पंदन की l महका गयी प...
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Sunday, May 4, 2025
अर्थ
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अलसाई सहर पैबंद सरीखी सी कायनात बीच l कयामत खलल ख्वाबों ख्यालों अफ़सानों बीच ll धूप अरदास धूनी कौतूहल सी लागत दर्पण नीर l पुकार हृदय मांझी न...
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Wednesday, April 2, 2025
संवाद
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एक विस्मित सा संवाद था उसकी आयतों कारीगरी में l केशों गुलाब लिखी जैसे कोई ग़ज़ल थी उसकी अदाकारी में ll रूह महकी थी जिन अधूरे खत भींगी आँचल स...
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Sunday, March 2, 2025
अमोघा
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साँझ धूनी चंद्र घटा नीले रक्त आवेग संगम l कल्पवास लीन बिंदी माथे चंदन तारों घूंघट ll मंथन तट सुरमई रंग रंगी मुद्रि अनोखी बंधन l मधुमास रुचिर...
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