RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, December 10, 2025
ll अंतिम अरदास ll
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स्पर्श सफर रूह ठहरा था जिस जिस्म अंगीकार को l भस्मीभूत हो गया पंचतत्व कह अलविदा संसार को ll वात्सल्य छवि अर्पण निखरी थी जिस मातृत्व छाँव को ...
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Sunday, December 7, 2025
परिदृश्य
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हैरत हुई ना किश्तों उधार मिली यादों दरारों में l इल्तिजा ठहरी नहीं चहरे शबनमी बूँदों दरारों में ll खोई सलवटें सूने आसमाँ तुरपाई गलियारों में...
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Tuesday, December 2, 2025
एक आवाज
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खो गयी एक आवाज शून्य अंधकार सी कही l सूखे पत्ते टूटने कगार हरे पेड़ों डाली से कही ll उलझी पगडण्डियों सा अकेला खड़ा मौन कही l अजनबी थे लफ्ज़...
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Wednesday, November 5, 2025
खण्डित विपाशा
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थक गयी आत्मा पत्थरों के संवेदना बिन शून्य शहर को l अजनबी थी खुद की ही रूह जिस्म को जिस्म रूह को ll गर्द घूंघट ढाक गयी नज़ारे आसमाँ नन्हें फर...
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Thursday, October 16, 2025
अकेला समय
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स्पर्श स्पन्दन खामोश अधरों उलझेअधूरे अल्फाजों की l तस्वीर एक ही उकेरती सूनी सूनी पत्थराई आँखों की ll पैबंद लगी तुरपाई हुई काश्तकारी रूह इसके...
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