Wednesday, August 13, 2025

आघात

आघात निष्काम निःशब्द खामोशी गूँज के l

रक्त होली बहा गए सादी बैरंग किताबों के ll


छुट गये कदमों निशाँ सभी गलियों मोड़ से l

बूंदे सावन मिलने आयी थी बादलों नूर से ll


मंथन गुमशुदा अर्जियां अम्बर पहेलियाँ गूँज से l

ख्यालों रुबरु करा गयी साँसों बंदिशें रुत से ll


पल प्रतिपल बदलते अधूरे शब्दों समीकरण से l

शून्य अह्सास नीर रिस चला काजल नूर से ll


साँझ खामोश दर्द रक्त लेखनी आघात मंजर से l

थक सो गयी आँखें बंद हो पलक कटोरों से ll