POEMS BY MANOJ KAYAL
जाने अनजाने
पुराने जख्म दर्द दे जाते है
घाव जो
फिर हरे हो जाते है
दिल को चुभों जाते है
पर
आंसुओं के मरहम में
सारे दर्द घुल जाते है
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