Saturday, January 20, 2018

भाग्य का उदयमान

आप की तरह नहीं मेरी लेखनी में वो धार

पर संगत में आपकी उसको भी मिलेगा निख़ार

दम दिखलायेगी यह भी फिर अपना

जब संग इसके होगा आपका साथ

ओत प्रोत हो नई प्रेरणा से

यह भी फिर कभी रचेंगी अपना इतिहास

ताल मेल का सामंजस्य जो बैठ गया

बन जायेगा यह भी फिर वरदान

स्वतः ही लेखनी को फिर मिल जायेगा

एक नई ऊर्जा का संचार

फ़िर मेरी भी हर एक रचना से होगा

मेरे एक नए भाग्य का उदयमान





2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-01-2018) को "आरती उतार लो, आ गया बसन्त है" (चर्चा अंक-2856) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    बसन्तपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  2. Dear Team Book Bazooka
    Thanks for liking my poems.
    Regards
    Manoj Kayal

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