देखा हैं चाँद को चुपके से अकेले में मुस्काते हुए l
रूप बदल बदल चाँदनी को इसकी इतराते हुए ll
दीवाने हुए हम भी उस चौदहवीं के चाँद के l
ज़माना आतुर जिसके एक दीदार के लिए ll
फलक तलक गूँज रही इसकी ही गूँज हैं l
अर्ध चाँद का अक्स इश्क़ का ही नूर हैं ll
ग्रहण लगे चाँद की छाया, जब से देखि पानी में l
मोहब्बत हो गयी तबसे इसके काले काले तिल से ll
दिल लगा जब से इसके दिलजले ख्वाबों से l
तन्हा रह गए हम भरी सितारों की महफ़िल में ll
जोरों से दिल हमारा भी खिलखिला उठा तब l
पकड़ा गया चाँद जब चोरी चोरी निहारते हुए ll
रुखसार से अपने बेपर्दा होते हुए देखा है हमने l
चाँद को चुपके चुपके अकेले में मुस्कराते हुए ll
चाँद को चुपके चुपके अकेले में मुस्कराते हुए l
चाँद को चुपके चुपके अकेले में मुस्कराते हुए ll
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२९-१०-२०२१) को
'चाँद और इश्क़'(चर्चा अंक-४२३१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ अक्टूबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आदरणीया स्वेता दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
सुन्दर रचना
ReplyDeleteआदरणीया विभा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
सुंदर, शानदार गजल, हर शेर चांद की खूबसूरती पे कुछ कहता हुआ ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
जोरों से दिल हमारा भी खिलखिला उठा तब l
ReplyDeleteपकड़ा गया चाँद जब चोरी चोरी निहारते हुए ll
वाह!!!
चाँद और इश्क...
बहुत ही सुंदर गजल।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
देखा हैं चाँद को चुपके से अकेले में मुस्काते हुए l
ReplyDeleteरूप बदल बदल चाँदनी को इसकी इतराते हुए l',,,,,,,, बहुत सुंदर रचना,आपकी लेखनी कमाल है ।
आदरणीया मधुलिका दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर