कहाँ से चला था कौन सी डगर का मुकाम था वो l
राहों की अधीर पगडण्डियाँ का सैलाब सा था जो ll
टूटे खंडहरों का आशियाँ था शायद जैसे कोई l
बिखरे ख्वाबों की लूटी अस्मत थी जैसे कोई ll
झंझोर था एक रुकी हुई दबी सी हल्की आहट का कहीं l
दस्तक दे रही जो निःशब्द अहसासों को कभी कभी ll
व्याकुल पपहिया छुपे पैगाम भेज रहा था जैसे कोई l
शब्द फिर भी पास ना थे उन सूखे हुए लबों के कहीं ll
बैचैन सावन की पुरवाई का रुख जुदा था खुद से कहीं कहीं l
रौनक ऐ महफिल का चाँद तन्हा खोया हुआ था और कहीं ll
इतनी भर साँसे अब तलक भी जो थी जिंदा बची खुची l
एक संदेशे इंतजार में धड़का जाती थी यह दिल कभी कभी ll
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसादर
आदरणीया अपर्णा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
हमेशा की तरह भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बेहतरीन
ReplyDeleteआदरणीय यशवन्त भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 अगस्त 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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पुन: भेंट होगी...
आदरणीया दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
व्वाहहहहहह
ReplyDeleteआदरणीया यशोदा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया श्वेता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
वाह! सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
गहरे अहसासों से भरे अल्फ़ाज़!!!
ReplyDeleteआदरणीय विश्वमोहन भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुंदर सराहनीय सृजन ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
टूटे खंडहरों का आशियाँ था शायद जैसे कोई l
ReplyDeleteबिखरे ख्वाबों की लूटी अस्मत थी जैसे कोई ll
बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन ।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद