Thursday, October 16, 2025

अकेला समय

स्पर्श स्पन्दन खामोश अधरों उलझेअधूरे अल्फाजों की l

तस्वीर एक ही उकेरती सूनी सूनी पत्थराई आँखों की ll


पैबंद लगी तुरपाई हुई काश्तकारी रूह इसके सपनों की l

बिनआँसू सुई सी चुभती सीने दिल टूटे अरमानों की ll


समय अकेला समर गहरा संबंध विच्छेद नादान सा l

कटाक्ष बाण चक्रव्यूह रण निगल गये निदान काल सा ll


मुखबिरी व्यथित बदरंग इनके रुदन शब्द आवाजों बीच l

मुनादी कोलाहल बेंध रही छाती कर्णताल ध्वनि धैर्य बीच ll


रोम रोम कर्जदार पाटों की इन बिखरी चट्टानों बीच l

लुप्त हो गयी तरुणी सागर कहीं इसके क्षितिज तीर ll 

12 comments:

  1. भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी ,
      आप सभी गुणीजन मेरे आदर्श हो, रचना के माध्यम से आपके आशीर्वाद सानिध्य प्रपात करना मेरे लिए गर्व का विषय हैं. व्यवसाय यात्रा के कारण मंथन करने को पूर्ण समय मिल नहीं पाता और देरी से आप सभी के ब्लॉग पर दस्तक देता हूँ, इसके लिए दिल से क्षमा प्राथि हूँ. आपका आशीर्वाद सदा मुझ पर ऐसे ही बना रहा .
      सादर

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  2. अदभुद लेखन | अकल्पनीय लेखन | जब आप मेरे ब्लॉग पर आकार टिप्पणी करते हैं पता चल जाता है कि जरूर आपने अपने ब्लॉग पर कुछ लिख डाला होगा | प्रणाम |

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    1. आदरणीय सुशील भाई साब ,
      आप सभी गुणीजन मेरे आदर्श हो, रचना के माध्यम से आपके आशीर्वाद सानिध्य प्रपात करना मेरे लिए गर्व का विषय हैं. व्यवसाय यात्रा के कारण मंथन करने को पूर्ण समय मिल नहीं पाता और देरी से आप सभी के ब्लॉग पर दस्तक देता हूँ, इसके लिए दिल से क्षमा प्राथि हूँ. आपका आशीर्वाद सदा मुझ पर ऐसे ही बना रहा .

      सादर

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  3. वाह्ह.... लाज़वाब अभिव्यक्ति।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ अक्टूबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. आदरणीया श्वेता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार

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    1. आदरणीय हरीश भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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    1. आदरणीया प्रियंका दीदी जी
      आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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  6. मार्मिक रचना

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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