Sunday, July 19, 2020

सामंजस्य

क़िस्मत के बबंडर ने कोहराम ऐसा मचा दिया l
हस्तरेखाओं का जन्मकुंडली से मिलान गुनाह बना दिया ll 

अनबुझ पहेली बन गयी लकीरें हाथों की l
जन्मकुंडली बन गयी ग्रह नक्षत्र सरीख़ों सी ll

उलझ गयी जीवन रेखा दो पाटों बीच सी l
सलवटें उभर आयी माथे ललाटों बीच सी ll

कैसे हरे इसके भ्रम मायाजाल से l
कष्ट निवारण सुझाव मिल रहे चारों नाम से ll 

यतीम प्रतीत होने लगे अब नींदों के पीड़ भी l
जल रहे ज्यों ज्यों नीरज रिसने लगे घाव भी ll 

एक थी करनी दूसरी कर्मों की लेख l
उकेर लू कुछ अलग लक़ीरों पर लेखनी लेख ll

थाम लू बबंडर नयी उकेरी लकीरों बीच l 
बदल दूँ जन्मकुंडली इन लकीरों बीच ll   

मिल गयी रौशनी खुल गए चक्षु नीर l
सामंजस्य जम गया कुंडली और लकीरों बीच ll 
 

2 comments:

  1. Replies
    1. आदरणीय शास्त्री जी
      हौशला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया l
      आभार
      मनोज

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