कुछ फटे बदरंगे अध लिखे पन्ने किताबों के संभाल रखने को दिल करता हैं l
इसकी कोई धुंधली तस्वीर जाने क्यों आज भी अक्सर अकेले में बातें करती हैं ll
हसरतें इसकी काले गुलाबों सी हवाओ को जब अपना दर्द बयां करती हैँ l
बिसरी मंजिलें सगर चंदन खुशबु यादें लपेटे पिंजर से आजाद हो आती हैं ll
धब्बे पानी के अंगुलियों जब सहलाती हैं चुभन अक्षरों को सिरहा जाती हैं l
लेखनी रिसता अश्रु सागर इसके पनघट छाया कतरा कतरा लहू बन आती हैं ll
शून्य इसके घाटों का पदचापों की पहचान रोशनी प्रतिबिंब बन दर्द दे जाती हैं l
मैं अकेला क्यों इस उलझन को इबादत की पहेली आदत और उलझा जाती हैं ll
हवाएँ साँसों की बातें इनसे जब करती हैं रूह थम सहम आती हैं l
परछाईं तलाश सुकून अहसासों की ग़म कुछ देर को भूला जाती हैं ll
सुंदर किताबों में लिखे अधलिखे पन्ने और उनकी एक पूरी कहानी
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteभावपूर्ण
ReplyDeleteकुछ फटे बदरंगे अध लिखे पन्ने किताबों के संभाल रखने को दिल करता हैं l
ReplyDeleteइसकी कोई धुंधली तस्वीर जाने क्यों आज भी अक्सर अकेले में बातें करती हैं ll
भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।