हैरत हुई ना किश्तों उधार मिली यादों दरारों में l
इल्तिजा ठहरी नहीं चहरे शबनमी बूँदों दरारों में ll
खोई सलवटें सूने आसमाँ तुरपाई गलियारों में l
छुपा गयी गुस्ताखियां आँचल पलकों सायों में ll
सुरमई बादल पनाह काजल निगाह घनेरो में l
कोई रंजिशें पैबंद ठगी अधखुली कपोलों में ll
बिखरे केशों लिपटी लट्टे झुर्रियां दर्पण लहरों में l
तस्वीरें धुंधली बदलती लकीरें हाथों मेहंदी में ll
ख्वाबों ख्यालों परिदृश्य फिराक दीवारों परिधि में l
लकीरें हाथों मिट गयी उलझन अंधियारों में ll
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteWahh
ReplyDeleteअलग और खूबसूरत अंदाज
सुंदर
ReplyDeleteअति सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteअति सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 दिसंबर 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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