विभोर स्पर्श पलकों बंद आँखों स्पन्दन राज का l
विरह ओस बूँदों सी अधखुले नयनों साँझ का ll
विशृंखल कोमल अंकुरन सांझी हृदय राह का l
व्यग्र उच्छृंखल मन ढूंढ रहा साथ माहताब का ll
कशिश एक मौन फ़रियाद सुकून आवाज का l
आलिंगन खुद के लबों सजी अल्फाजों साज का ll
बेसब्र अनमोल दीवानगी जुनून मृदंग थाप का l
थिरकती उमंगें कहानियां किंवदन्ती रूह चाँद का ll
मोती संजो रहे ख्वाब तिलस्मी स्पंदन राज का l
पुनः आलिंगन ओस बूँदों मौन नयनों साँझ का ll
No comments:
Post a Comment