आघात निष्काम निःशब्द खामोशी गूँज के l
रक्त होली बहा गए सादी बैरंग किताबों के ll
छुट गये कदमों निशाँ सभी गलियों मोड़ से l
बूंदे सावन मिलने आयी थी बादलों नूर से ll
मंथन गुमशुदा अर्जियां अम्बर पहेलियाँ गूँज से l
ख्यालों रुबरु करा गयी साँसों बंदिशें रुत से ll
पल प्रतिपल बदलते अधूरे शब्दों समीकरण से l
शून्य अह्सास नीर रिस चला काजल नूर से ll
साँझ खामोश दर्द रक्त लेखनी आघात मंजर से l
थक सो गयी आँखें बंद हो पलक कटोरों से ll
No comments:
Post a Comment