Sunday, June 28, 2009

होली

आओ राधा संग होली खेले

जग मग करते तारों भरी रात में रास रचावे

हर एक को प्रेम दीवानी मीरा की कथा सुनाये

रंग भरे अरमानों को प्यार की भाषा समझाये

आओ इस होली में एक नई दुनिया बसाये

कुदरत

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

तेरे रूप में धरा को नया फूल दिया है

चंदा की चांदनी आफताब की किरणों से

मुख आभा श्रृंगार किया है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

फूलों सा कोमल यौवन से भर पूर

रूप से तुझको संवारा है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

कोयल सी मधुर वाणी चितवन सी मुस्कान

से तुझको नवाजा है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

परियों के देश में रति से हसीन अप्सरा रूप में

हमको रिझाने तुमको भेजा है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

तुमसे हारेगी दुनिया

रूप होगा मोहिनी

यह वरदान दिया है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

माँ



माँ तुम ही जन्म दात्री हो

तुम ही पालन हार हो

माँ तुम ही ज्ञान दायनी हो

तुम ही जीवन हो

माँ तुम ही आशा हो

तुम ही ईश्वर हो

माँ तुम ही सरस्वती हो

तुम ही लक्ष्मी हो

माँ तुम ही सावित्री हो

तुम ही शक्ति हो

माँ तुम ही पूजा हो

तुम ही आराधना हो

माँ तुम ही धरा हो

तुम ही आकाश हो

माँ तुम ही ममता हो

तुम ही सरल हो

माँ तुम ही कर्तव्य की मूर्त हो

तुम ही बलिदान की मिशाल हो

माँ तुम ही सृष्टि की जननी हो

तुम ही परम सत्य हो

Thursday, June 4, 2009

दिल की पतंग

तेरे संग हमने प्रीत की डोर लगाई है

काट सके ना कोय

उस रिश्ते की डोर बनायी है

संग संग उड़ चलू तेरे

मेरे मन की नित यही कहानी है

तेरे संग हमने प्रीत की डोर लगाई है

बंधन की पेंच ऐसी लगाई है

सात जन्मो तक साथ निभानी है

जिधर तेरी बयार चले

उसी राह दिल की पतंग उडानी है

तेरे संग हमने प्रीत की डोर लगाई है

संयोग कहो या वरदान

मेरे दिल पर तेरी दीवानगी छाई है

साथ फेरों के साथ तेरे को जीवन अर्धांगीनी बनानी है

तेरे संग हमने प्रीत की डोर लगाई है