Friday, March 23, 2018

कब्रगाह

वो दूर क्या गये एक भूल से

दिल यादों का कब्रगाह बन गया

फ़नाह थी जो मोहब्बत कभी

लिपटी रहती थी फूलों की चादर सी

जो कभी इस मज़ार से

मुरझा रुखसत हो गयी

अलविदा कह

तन्हा बैचेन छोड़ गयी इस रूह को

भटकने यादों के कब्रिस्तान में

भटकने यादों के कब्रिस्तान में

Thursday, March 8, 2018

हसीं

उनकी एक हसीं से रंगों के गुलाल खिल गये

अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये

चेहरे से नक़ाब जो सरक गया

तमस को चीर आफ़ताब खिल गये

बरसते लावण्य में भींगे सौंदर्य से

जैसे रूप अप्सरा यौवन खिल गये

देख मदहोशी की इस मधुशाला को

फिजाँ भी नशे में बल खाकर बहकने लगे

मानो वक़्त से पहले ही

चमन में सावन झूमने लगे

चमन में सावन झूमने लगे