Monday, August 23, 2021

नदियाँ

ए नदियाँ अभी ज़रा तुम ठहरो l
आतुर सागर अभी मचल रहा हैं ll

तुम उतावली अधीर सागर संगम को l
सागर व्याकुल लहरों में सिमट आने को ll

अस्तित्व विलुप्त हो जाओगी दरिया तुम l 
प्यासा हैं सागर कंठ तृप्त इसे कर जाने दो ll 

प्रवाह में प्रचंड आवेग लिए सागर से l
तेरी शान्त प्रकृति कुरूप होने ना दो ll

खुमार सागर प्रलय मदहोशी का छाया हैं l
वही तेरी लालिमा मंजर सकून का साया हैं ll

साँझ बेला जब सागर करीब इतराएगी l
हौले से पानी तेरी कानों फुसफुसाएगी ll

बह चली आना बना अपने आँचल को पतवार l
दामन तेरा बन निखर आयेगा जैसे संगम द्धार ll

कुछ पल को थाम ले नदियाँ तेरी रफ़्तार l
लौट आने दो सागर को भी तट के पास ll  

Saturday, August 21, 2021

अंजुमन

मशरूफ ना हो जिंदगी तुम इतनी भी l
फुर्सत मिले ना प्यार को इतनी भी ll

तरसती रह जाएँ शोख़ियाँ दिल की l 
क़ुरबत उस हसीन गुलमोहर आने की ll 

साज बन जो ढली हो सरगम सी l
ग़ज़ल बन निखरों अल्फाजों की ll

मुराद नायाब इस अंजुमन की l
खलिश जवां जवां मुख़्तसर की ll

गुज़ारिश हैं करवटें बदलते रातों की l  
खुलूस रातें बहके हो थोड़ी रूमानी सी ll

महके हिना गुलबदन काफिर की l
फ़रियाद कर रही रूह साँसों की ll

Saturday, August 14, 2021

ताजमहल

रुसवा हो वो जो छोड़ गए थे बीच मझधार I
पिरोयें थे ताजमहल के जो सुनहरी खाब्ब II

कैसे फिर यह दिल सिर्फ किसी एक को चाहे I 
रंजिशें कर ली जब अरमानों ने खुद के साथ II

चाँद भी इस डगर हो गया खुद से बेनक़ाब I
टूट बिखरा गया तारें का रूमानी मेहताब II   

रंगे थे आसमां जिनकी ग़ज़लों से सुबह शाम I 
नाम कर गयी वो इन्हें किसी काफिर के नाम II

तन्हा छोड़ रूह उसकी चले जाने के बाद I
दिल हो गया ए तवायफ़ के घराने समान II 

महरूम हो गयी वादियाँ एक वीराने के साथ I 
मशगूल रह गयी सिर्फ यादें बदनामी के साथ II 

फिक्र अब ना थी इस दिल की दिल के पास I
दफ़न हो गया मकबरे के ताबूत में समाय II 

Wednesday, August 4, 2021

आईना

आईना हमने भी देखा हैं करीब से गुजरते हुए    
तेरी हुस्न तपिश में जल मोम सा पिघलते हुए 

वाकिफ़ ज़माना रहा परदानशीन तेरे हुस्नों अंदाज़ से 
नज़रें मिलायी हटा हिज़ाब सिर्फ तूने दर्पण यार से 

आये तुम जब कभी इस अंजुमन की छावं में 
चाँद ईद का निकल आया जैसे अमवास रात में 

रंगीन चूड़ियाँ काँच की मिली जब काँच से 
चटक गयी कोर आईने की तेरी झंकार से 

सिर्फ तेरा ही चेहरा नज़र आया आईने को 
अपने बदले बदले हुए दर्पण अक्स राग में

टूट बिखरा आईना जब छोटी छोटी धार में  
तस्वीर तेरी ही उभरी तब भी इसके आगाज़ में