Monday, December 4, 2023

पूर्ण शून्य

पूर्ण शून्य हूँ उस माथे बिंदिया सरताज का l

नमामी ललाट सजी सिंदूरी काया साज का ll


किनारा उसकी आँचल ओढ़नी छाँव का l

इबादत सजी पतित पावनी गंगा साज का l


नीलाम्बर उमंगों प्रार्थना सजी भाव का l

अर्ध आकार जिसमें निश्चल प्रेम साज का l


प्रचंड उत्सर्ग प्रखर उस सृष्टि अभिमान का l

नयी धरा काव्य कहती इसकी नयन साँझ का ll


केशों सजी उस वेणी मधुरस खास अंदाज का l

साँसों बिन धड़कती इसकी हिरनी चाल का ll


कर्णकार गलहार उस वैजयंती शीतल धार का l

शून्य पूर्ण कर गया जो मेरी रूह कर्णताल साज का ll


Thursday, November 23, 2023

साथ साथ

अलसाई सुबह की अंगड़ाई लेती चुस्की l

नचा रही मन पानी दर्पण अंतराल साथ ll


भींगी ओस नमी ख्यालों की ताबीर खास l

मूंद रही नयनों को जगा रही फूलों साथ ll


ख्वाबों की बेफिक्री सी दिलकशी उड़ान l

परिंदों सी लुभा रही दिखा नये अंदाज ll


लिहाफ़ गर्माहट भरी छुपी छुपी गुदगुदी रात l

ठिठुरती करवट बदलती काया बन बारात ll


बादलों झुरमुट रुबाई तन्हा मंजर बरसात l

आरज़ू ग़ज़ल संवरे अधूरे सहर साथ साथ ll


खिली धूप परछाई शरमाई गुलाब पंखुड़ियां नाल l

खोल गयी कई पोल कपोल कड़ियां एक साथ ll


Monday, November 6, 2023

आत्मबोध

मौन स्तब्ध स्वीकृति लिए स्पर्श जो था एक अजनबी स्पंदन का l

मानो इश्क़ इजहार था माधुर्य मधुरम आत्मबोध अभिनन्दन का ll 


निश्छल कल कल रगों बहती इसकी प्रेरणा थी जीवनदयानी सी l 

तल्लीन मुग्ध तिल्सिम में सुखद फिर भी लगी थी इसकी ये छाँव ll 


पथिक सा इस पगडण्डी चल छूने लगा सप्त सुरों के सरगम साज l 

सम्मोहित इसमें साँसों की आस अभिनय सा था गुलजारों का साथ ll 


वैदेही अभिलाषा आतुर सी संजो रही पल छीन एक नया आकार l 

मिला रंग गयी जैसे अपने रंगों मेरे रूह में अपनी खनक आवाज़ ll  


सिमट गयी सारी खुशियों की दुनिया इस गुलमोहर खुशबू अंदाज़ l 

अपनत्व अहसास सीखा गया गुलज़ार मोहब्बत के हसीन अंदाज़ ll 


अनुभूति सहज सरल इस एकाकी पहेली पहलु उस किरदार की l 

बिन साँसे धड़कना सीखा गयी थी किसी ओर के दिल ओ साज में ll

Monday, October 2, 2023

उन्माद

इश्क में उसके बार बार हर बार उजड़ा हूँ l

दरख्तों के पतझड़ शायद सावन नहीं पास ll



टूट बिखरा इसकी फ़िज़ाओं अनगिनत बार l

दिल फिर भी ना सुने इन कदमों की आवाज ll



रंग वो दूर था कही ना जाने क्यों बादलों पार l

चाँद ने दाग तिल छुपा रखा जैसे कोई राज ll



उन्माद इश्क नचा रहा हर चौबारे की गली गली फांस l

घुँघरू की तरह बजता गया उसके कदमों धूलो आस ll



सब्र इम्तिहान उजड़ उजड़ बिखरता इश्क लहू साथ l

अश्कों प्रीत सागर गहराई समा गयी इसके साथ ll



सूराख आसमाँ इश्क आँचल छू गया दिल के तार l

बहक गया मन एक बार फिर बिखर जाने के बाद ll

Friday, September 8, 2023

प्रफुल्लित निंद्रा

तपती रेगिस्तानी रेत में छाले उभरे नंगे पांव में l

निपजी थी एक जीवट विभाषा इसके साथ में ll


बुलंद कर हौसलों को बढ़ता चल यामिनी राह पे l

विध्वंशी लू थपेड़े पराजित से नतमस्तक साथ में ll


मृगतृष्णा प्यासी इस धरोहर पिपासा रूंदन नाद में l

सुर्ख लहू भी जम गया बबूल की सहमी काली रात में ll


खंजर चुभोती तम काली घनी कोहरी डरावनी छांव में l

रुआँसा उदास अकेला रूह अर्ध चाँद परछाई साथ में ll


कुंठित मन व्याकुल अभिलाषा अधीर असहज वैतरणी नाच में l

धैर्य धर अधरों नाच रही फिर भी निंद्रा प्रफुल्लित अपने साथ में ll

Sunday, September 3, 2023

सगर

गुजारी थी कई रातें ख्वाबों के सिरहाने तले l

सितारों की आगोश में चाँदनी लिहाफ तले ll



फिर भी तवायफ सी थी ख्वाहिशें धड़कनों की l

राहों टूटे घुँघरू पिरो ना पायी माला साँसों की ll



बंदिशें कौन सी क्यों थी जाने चाँद की पर्दानशी में l 

बेपर्दा जो कर ना पायी पलकों तले थे जो राज छुपे ll



दूरियों के अह्सास में भी जैसे कोई आहट साथ थी l

फुसफुसा रही हवा झोंकों में कुछ तो खास बात थी ll



मिली थी जो कल फिर उसी चौराहे बरगद छाँव तले l

परछाई की उस रूमानी रूह में कोई रूहानी साँझ थी ll



आकार निराकार था उस प्रतिबिंब के दर्पण नजर में l

फिर भी हर अल्फाजों में उसकी ही बात सगर थी ll

Tuesday, August 8, 2023

ll बारिश की तान ll

कल देखा था बारिश को जुल्फों पर फिसलते हुए l

हौले से आँचल को लिपट कंगन डोरी बंधते हुए ll



मदमाती सी भींग रही थी दामन की पतवार l

संग पुरबाई झोंकों से कर्णफूल कर रहे थे करताल ll



महकी बालों गुँथी वेणी काले बादल रमी थी ऐसी l

रंग रुखसार बिखरा गयी थी इन्द्रधनुषी घटा शरमाय ll



लहर संगीत धुन बरसी थी जो नयनों काजल से l

कजरी स्याह मेघ सी ढाल गयी थी सुरमई आँखों में ll



झूमी थी जो झांझर एक पल शहनाई मृदुल तान सी l

सहमा लज्जा गयी थी बिंदिया इस माथे दर्पण ताज की ll



घूंघट पहरा ना था इसके सुनहरे आसमाँ आँगन में l

ग़ज़ल कोई लिख गयी कुदरत मानो बारिश बूँदों में ll

Thursday, August 3, 2023

सगर

गुजारी थी कई रातें ख्वाबों के सिरहाने तले l

सितारों की आगोश में चाँदनी लिहाफ तले ll


फिर भी तवायफ सी थी ख्वाहिशें धड़कनों की l

राहों टूटे घुँघरू पिरो ना पायी माला साँसों की ll


बंदिशें कौन सी क्यों थी चाँद की पर्दानशी में l

बेपर्दा कर ना पायी जो पलकों तले राज छुपे ll


दूरियों के अह्सास में भी जैसे कोई आहट साथ थी l

फुसफुसा रही हवा झोंकों में कुछ तो खास खनकार थी ll


मिली थी जो कल फिर उस पुराने बरगद छाँव तले l

परछाई की उस रूमानी रूह में रूहानी साँझ थी ll


आकार निराकार था उस प्रतिबिंब के दर्पण नजर में l

फिर भी हर अल्फाजों में उसकी ही बात सगर रही थी ll

Friday, July 7, 2023

शिकवा

अदना सा ख्याल यूँ ही जाने क्यों मन को भा गया l

गुफ़्तगू इश्क की खुद से भी कर लिया करूँ कभी ll


गुजरु जब फिर यादों की उन तंग गलियों से कभी l

जी लूँ हर वो लम्हा उम्र जहां आ ठहरी थी कभी ll


हँसूँ खुल कर मिल कर खुद से इसके बाद जब कभी l

झुर्रियों चेहरे की सफ़ेदी बालों की इतराने लगे खुशी ll


अन्तर फर्क़ करूँ उन लिफाफों में कैसे फिर कभी l

सूखे गुलाब आज भी जब महक रहे ताजे से वहीं ll


संवारू निहारूं जब जब दर्पण फुर्सत लम्हों में कभी l

परछाईं झलक इश्क की भी शिकवा और ना करे कभी ll

Wednesday, June 14, 2023

छेड़खानियाँ

जिस धूप की छाँव बन जो सजी सँवरी फिरती थी कभी l

छेड़खानियाँ उसकी अक्सर अश्कों की बारात सी थी सजी ll


जुल्फें अक्सर उसकी उलझी रहती थी सवालों से अटिपटी सी l

फिर भी बेतरतीब लट्टों से यारी थी अँगुलियों रंगदारियाँ नयी सी ll


प्रतिबिंब हज़ारों थे मन दर्पण टूट बिखरे हुए हिस्सों में l

फिर भी उसके अक्स का नूर था इसके हर हिस्सों में ll


तहरीर तालीम जिस दहलीज को दस्तक दे रही थी जो अब l

रुखसत थी छाया इसकी अब अंजुमन मुकाम के इस सफर ll


रंग शायद उसकी जुल्फों का ढ़ल चाँदनी सा निखर गया होगा अब l

शायद तभी मेरी सहर से साँझ का वक़्त भी मुकर्रर हो चला था अब ll


मेहंदी सी गहरी सुरमई छाप सजी थी जिस नफ़ासत धूप की l

कनखियाँ हौले से टोह लेती नफ़ीसी उन छेड़खानियाँ रूह की ll


आलम खुमारी उन खतों में पड़ती झुर्रियों का ही था l

सलवटें भरे उन सादे पन्नों में नाम उसका ही मयस्सर था ll

Monday, May 1, 2023

आलाप

सुन सावन के पतझड़ की रागिनी आलाप l

ख़त लिख भेजे बारिश की बूँदों ने दिल के साथ ll


उलझे उलझे केशे भीगे भीगे आँचल की करताल l

मानों दो अलग अलग राहें ढ़लने एक साँचे तैयार ll


ग़ज़ल जुगलबंदी के साज झांझर भी थिरके नाच l

अर्ध चाँद और भी निखर आया सुन बारिश की ताल ll


ताबीज बनी थी जो आयतें उस शरद पूनम की रात l

कर अधर अंश मौन महका गयी अश्वगंधा बयार ll


शरारतों की बगावत थी वो रूमानी साँझ l

शहनाई धुन घुल गयी चूडियों की बारात ll


काश थम जाती वो करवटें बदलती साँस l

मिल जाती दो लहरें एक संगम तट समाय ll


रूह से रूह का था यह रूहानी अहसास l

मौसीक़ी से जुदा ना था बारिश का अंदाज ll


सुन सावन के पतझड़ की रागिनी आलाप l

ख़त लिख भेजे बारिश की बूँदों ने दिल के साथ ll

Sunday, April 2, 2023

चेतना

उन्मुक्त परवाज भरता अभिव्यक्ति सार्गर्भित विचार  l 

अवहेलना व्याख्यान अविरल तुष्टीकरण करते निदान ll


निंदक निंदा भागीदार खोले ऐसे अद्भुत द्वार l

द्रुतगति सींचे नीव नवनिर्माण के साँचे द्वार ll


बबूल झाड़ियां मरुधरा नतमस्तक नील आकाश l

व्यथित पीड़ा खोज लायी मृगतृष्णा नव अवतार ll


मेरुदंड हिमशिखर बाज सी पैनी चाणक्य धुरंधर बात l

शत्रु सहभागी सूत्र पिरो दिया दशों दिशा नया आयाम ll


छोर क्षितिज संरचना गणना आदित्य के वरदान l

भूमिका महत्ता रोशनी संस्कृति विवेचन विचार ll


अध्याय आधार गतिशील प्रतिपल शिक्षा के संस्कार l

विश्वस्वरुप आधिपत्य संजो रहा एक नया इतिहास ll


सागर सरहदें मंथन निरंतर चेतन निर्माण चिंतन l

ध्वजा शंखनाद उद्घोष धरा उत्तम संगम तर्पण ll


पृष्ठभूमि रचित सृजन भूमिका अभिलाषा ज्ञान दान l

प्रस्फुटित अंकुर गुलाब महका रहा ब्रह्मांड दर्श ज्ञान ll

Monday, March 6, 2023

फागुन की थाप

रंगों की प्रीत ने घोली हीना सी ऐसी मदमाती सुगंध चाल में l

केशों में गुँथी वेणी भी थिरक उठी इसके ही रंगों साज में ll


चंद्र शून्य भी भींग इसकी  बैजन्ती के कर्ण ताल में l

लहरा रही कुदरत प्यासे मरुधर मृगतृष्णा ताल में ll


इन्द्रधनुषी रंग बिखराती लाली बिंदी माथे सजी l

बाँसुरी सी बजा रही समंदर ख्यालों अरमान में ll


खनखन करती चूडिय़ां सम्भाल रही ओढ़नी डोर साथ में l

राग सरगम बरस रही इनके रंगें इशारों छुपी जो साथ में ll


चढी खुमारी रंगों की ऐसी फागुन के फाग में l

चाँद भी रंग आया डफली की मीठी थाप में ll


मुरीद अधर रंग सहेजे जिस कोकिल कंठी राग के l

रंग गयी चुपके से वो मुझे अपने ही रंगों रुखसार में ll


गुलाल गुलाब के बिखरते रंगों होली जज्बात में l

सांवला रंग भी निखर आया साँसों के रंगों रास में ll

Friday, February 17, 2023

उलझन

उलझन एक साँसों बीच चाँद क्यों अधूरा सितारों बीच l

मेहरम हवाओं आँचल बीच दाग क्यों चाँद माथे बीच ll


फलसफा कुदरत का ताबीज बन डोरे डाले आँखों बीच l

अनोखा स्वांग रचा रखा कायनात ने चाँद के माथे बीच ll


कभी अमावस की परछाई कभी ग्रहण की गहराई बीच l

नज़र कजरी बन आती ठहरी धड़कनों की अर्ध चाँद बीच ll


अलाव सी तपती मृगतृष्णा का आलाप झांझर बीच l

सूखौ रही कल कल करती नदियां संगीत सागर बीच ll


परखी बादलों ने जौहरी सी पनघट काया बदलती रूह बीच l

तस्वीर इस मंजर की इनायतॅ आयतें लिख रही चाँद बीच ll


बेचैन अधीर मन गुमशुदा करवट बदलती रातों बीच l

पूछ रहा खुद से क्यों खो गया मेरा चाँद बदरी बीच ll

Thursday, February 2, 2023

छेड़खानियां

सप्तरंगी तरंगें थिरकती जिन बाँसुरी शहनाई की धुन l 

निजामते पुकार लायी फिर उन छेड़खानियां की रूह ll


आँधियों से जिसकी जर्रा जर्रा महका करता था कभी l

संवरने लगी वो आज फिर सुन दिल दस्तको॔ की धुन ll


सिलसिला दो हसीन ख़यालात खिलते गुलाब जज्बातों का l

एक मौन स्वीकृति खुशमिजाज आलिंगन करती हवाओं का ll


अर्ज़ बड़ा ही मासूम था इसकी उन अतरंगी अदाओं में l

तर्ज़ में जिसकी सितारें थे हर एक दिल्लगी इशारे में ll


मिलन गुलदस्ता ख्वाब बना था जिस खत का कभी l

अधूरा वो खत आज भी पड़ा था उसी किताब बीच ll


तराश नियति ने सजाये दो अलग अलग गुलदानों में l

मुरझा गये गुलाब दोनों जुदा हो अपनी ही साँसों से ll


आज फिर अचानक खिलखिलायी जो यादों की सुनहरी धूप l

छू गयी फिर से उन नादान छेड़खानीयों की मीठी सी धुन ll


Sunday, January 8, 2023

गुस्ताखियाँ

बेईमान लम्हों की हसीन नादान गुस्ताखियाँ l

कर गयी ऐसी मीठी मीठी दखलअन्दाज़िया ll


शरमा तितली सी वो कमसिन सी पंखुड़ियां l

रंग गयी गुलमोहर उस चाँद की परछाइयाँ ll


सुनहरी ढलती साँझ की मधुर लालिमा जिसकी l

संदेशा गुनगुना जाती यादों सिमटती रातों का ll


अक्सर दस्तक देती चिलमन की वो शोखियाँ l

जुड़ी थी जिससे कुछ अनजाने पलों की दोस्तियाँ ll


मेहरबाँ थी अजनबी राहें भटकती मृगतृष्णा बोलियाँ l

बन्ध गयी थी जिनसे इस अनछुए अकेलेपन की डोरियाँ ll


स्पंदन एक मखमली सा था इनकी फ़िज़ाओं हवाओं में l

इत्र सा महका जाती आल्हादित मन अपनी गुस्ताखियों से ll