Monday, December 27, 2021

प्रतिलिपि

प्रतिलिपि लिखी जिन गुमनाम गुलजारों की l
मिली वो इस अंजुमन के प्यासे रहदारों  सी ll

सूनी दीवारें सजी थी किसी दुल्हन सेज सी l
कुरबत जिसके उतर आयी थी महताब बारात की ll

मशरूफ थी रूह इस कदर इनायतें रैना इंतजार में l
शुरूर नूर लिहाज का गुम हो गया इस कायनात में ll

बिसर अलंकार शब्दों मखमली ताबीर का l
रंग गया अम्बर स्वप्निल रंगदार घटाओं का ll

अहसास फूलों सी नाजुक इन पंखुड़ियों का l
तितलियाँ उड़ा गया इन पलकों नींद का ll

मीठी सी जिरह इसकी जेहन गहराई में l
लिखती हर पल नयी इबादत गुमनामी में ll

प्रतिलिपि लिखी जिन गुमनाम गुलजारों की l
मिली वो इस अंजुमन के प्यासे रहदारों  सी ll

Sunday, December 5, 2021

मुकाम

सफर के हर पड़ाव कदम मुकाम बदलते गये l
निशाँ अपनी फितरतों के हर और छोड़ते गये ll

इतने लग गये इसके दामन के दरमियाँ  बदरंगें से दाग l
मैला हो आँचल तार तार हो गये इसके पहलू एक साथ ll

नादानीयॉ उस रुखसार की शिकस्त ऐसी दे गयी l
अधूरे मशवरे की खींचतान में आबरू फिसल गयी ll

अवरुद्ध संकरी गलीया भटक गयी थी सफर की डोर l
चाँद वो नजर आया नहीं छुपा था जो बादलों की ओट ll

धुन्ध में लिपटी थी फलक तलक इसकी जो बारिशें l
धुँआ धुआँ हो बिखर गयी थी गुल की सारी नवाजिशें ll

फेहरिस्त लंबी थी इस सफर के उन गुलजारों की l
भटकते कदमों के घायल गुलजार अरमानों की ll

पग पग स्वाँग रचा रखा था राहों ने हर उस मोड़ पर l
भ्रमित हो मुकाम बदल लिया क़दमों ने जिस ढोर पर ll

ना मिटने वाले क़दमों के निशाँ छूटते गए हर तरफ l
मुकाम बस एक मय्सर ना हुआ सफर के इस सफर ll

Friday, December 3, 2021

गुनाह

ज़िक्र सिर्फ और सिर्फ तेरा ही आया बार बार I
मेरे हर गुनाह में तेरा ही नाम आया हर बार II

तितलियाँ जो उड़ाई थी तूने रंगीन फ़सनों की I
आगाज़ वो कभी बनी नहीं इनके अरमानों की II

पँख खोल परवाज़ भर उड़ जाने बेताब इन परिंदों को I
आसमाँ वो मिला नहीं कबूल करले जो इन परवानों को I 

ना जाने कैसे बिन पते का बंद तेरा वो खत I
मोहर सा लिफाफे से चिपका गया मेरा मन II

तेरी पर्दानशीं आँखों के उस सम्मोहन भरे जादू से I
अछूता रह ना पाया गुनाह अंजाम अदा करने से II

खामोशीयों पे मेरी पहरे लगे थे तेरी यादों के सभी I
तेरे फैसले में रजा मेरी भी थी तेरे लिए ही शामिल II

परत दर परत ताबीर गुनाह की ज्यों ज्यों खुलती गयी I
इस गुनाह रिश्ते की चर्चा सरेआम होती चली गयी II