कर रहा हु इन्तजार
ढल रहा है दिन हो रही है शाम
होगा भाग्य उदय कल तो
कह रहा है मन ये बार बार
किया नहीं जब कोई अनुचित काम
निश्चय ही रब देगा मेरा साथ
निराश अभी हुआ नहीं
फैलाये बाहे कर रहा हु
एक नए प्रभात का इन्तजार
कर रहा हु इन्तजार
ढल रहा है दिन हो रही है शाम
होगा भाग्य उदय कल तो
कह रहा है मन ये बार बार
किया नहीं जब कोई अनुचित काम
निश्चय ही रब देगा मेरा साथ
निराश अभी हुआ नहीं
फैलाये बाहे कर रहा हु
एक नए प्रभात का इन्तजार
है प्यारे बड़े ही चिंतामणि
चिंता से ये कभी मुक्त होते नहीं
नाम पड़ा इसीलिए चिंतामणि
ख़ुद की चिंता इनको सताती नहीं
देख दूसरों की खुशिया
मारे चिंता नींद इनको आती नहीं
ऐसे है अपने प्यारे श्रीमान चिंतामणि
माया के मायाजाल में फंसा जो
मायाजाल के महापोश से बच न सका वो
लालसा खत्म होती नहीं
लालच कभी मरता नहीं
दलदल माया का ऐसा
इससे कोई निकल पाता नहीं
चक्रव्यू ऐसा बाहर का मार्ग नजर आता नहीं
माया से मुक्ति इतनी आसान नहीं
माया के बिना रह पाना भी आसान नहीं
जब जब किया एतबार
तब तब तुने किया विश्वासघात
अब बेहतर हो यही
राहे चले अपनी अपनी
तुम निकल पड़ो अपनी राह
मैं चल पडू अपनी राह
अब ना कभी मिले
आओ ऐसी राह पे चले
सोई किस्मत जागे तभी
मंत्र ऐसा कोई जब पढू कभी
खुलने लगे बंद किस्मत के ताले
कुंजी ऐसी मिले जब कहीं
सफलता के राज छुपे हो जिसमे
मिला ना वैसा मंत्र अभी तलक
क्यो करते हो रब मेरी किस्मत से मजाक
क्यो छल जाते हो मेरे को ही हर बार
क्यो लोट जाती है खुशिया मेरे ही द्वारे आए
हे रब कैसे तुम को बतलाऊ
पीड़ा कैसे तुम को दरशाऊ
जब तुम ख़ुद ही अन्तर्यामी
क्यो नही बदल देते
किस्मत की मारी तक़दीर की कहानी
क्यो हु मैं इतना बदकिस्मत
कोशिश जी जान से करू
कमी रखु न कोई ना कोई कसर
फिर हर बार क्यो मिले असफलता
कुदरत ने शायद तक़दीर में कामयाबी लिखी नही
कामना सफलता की इसलिए काम ना आए
इस गहरी चोट को जुबां से वयां किया जा ना सके
मच गई मच गई रंगों की हुडदंग मच गई
भर गई भर गई रंगों की पिचकारी भर गई
रंग गई रंग गई रंगों के रंग में दिल की किताब रंग गई
रंगी रंगी ऐसी रंगी हर पन्ने प्यार के रंगों से रंगी
खिल गई खिल गई रंगों की रंगत खिल गई
छा गई छा गई रंगों की मस्ती छा गई
भा गई भा गई दिल को भा गई रंगों की रंगीनी भा गई
रंग गई रंग गई रंगों की बारिस में हर चाहत रंग गई
आग लगनी हो दिल को
तो याद करो हमको
हमसे बेहतर है कोई नही
हुनर ऐसा लाजबाब
ख़बर हो जब तक आप को
जल उठा होगा दिल तब तलक
प्यार की इबादत करते है हम
तितलियों के दिलो में रहते है
दिल जलाने को ही दिल लगाना समझते है
इसिलये दिलजले कहलाते है हम
बातें थी ढ़ेरों करनी
किस्से कहानिया थी वया करनी
बतलानी थी वो बात
जिस बात में छुपे थे सारे राज
अहम् थी ये बात
जो बात बतलानी थी आज
हो ना पाई कोई बात
दफ़न हो गई वो राज की बात
रह गई ख्वाइश अधूरी बातों की आज
फिर ना कभी हो पायेगी ये बात
बात जो कहनी थी आज
सिमट गई दुनिया बातों के जंजाल में आए
बंद हो गया सदा के लिए बातों का पिटारा आज
थम गया सिलसिला बातों का इस मुकाम पे आए
खत्म हो गई सारी बातें
अब ना बची कोई बात बतलाने को
चाहा सिर्फ़ तुम्हे ही है
सोचा किसी ओर के बारे में नहीं
यकीन कैसे तुमको दिलाऊ
कैसे सीना चिर तुमको दिखलाऊ
दुनिया मेरी होती है तुमसे ही शुरू
खत्म भी होती ही तुम पे ही आके
यारा अब तो मेरा यकीन करो
सप्ताह के है सात दिन
छ: दिन झगड़ा एक दिन प्यार
कैसा अनोखा है ये संसार
झगड़े बिन चैन नहीं
प्यार में फिर भी कोई कमी नहीं
कहना है बस इतना सा
क्यो झगड़े सप्ताह के सातवे दिन
बिन खता सजा क्यों मिली
वफा के बदले रुसवाई क्यों मिली
ऐसी भी क्या बात हुई
चाहत के बदले नफरत आन मिली
बिछुड़ गए दिलो के तार
छुट गए हाथो से हाथ
कमजोर थी बिस्वास की डोर
टूट गई रिश्ते की डोर
लगी जो हलकी सी खरोंच
हो गई राहें जुदा जुदा
मिल न सके फिर कभी दुबारा
ज्यो हो सागर तट का किनारा
गुमान इतना अच्छा नहीं
आनी जानी जब कुछ नहीं
फितरत भी बदल जायेगी
ठोकर जब अहंकार को लगेगी
जो क़द्र करोगे भावनाओं की
कदमो में दुनिया सारी होगी
आरजू हैं फिरू वन वन
उदु तितली बन बन
छू लू धरती आसमा को
अदाकारा ऐसी बनू
हुनर से अपने जीत लू दिल सबका
दिल तलाशता रहा
दीदार उनका हो ना सका
जिनके ख्यालो में जिन्दगी डूबी रही
मिले जिन्दगी के ऐसे मोड़ पे
नजरे प्यासी की प्यासी रह गई
मिलन की हसरतें अधूरी की अधूरी रह गई
रिश्तो में खट्टास ऐसी आई
शहद सी घुली बातों में भी
करेले की कडवाहट नजर आई
रिश्ते जो लगते थे मिश्रि से मीठे
लग रहे निम् से कडवे अब
ऐसी क्या बात हो आई
बातों में जहर की महक चली आई
चाहत की जगह नफरत चली आई
जिन्दगी हसीन हो गई
हर शाम रंगीन हो गई
तुम जो मिले तो तन्हाई दूर हो गई
एक पल के लिए ही सही
जिन्दगी अपने आप से रूबरू हो गई
हो जिसके सर काँटो का ताज
कैसे फूल आए उसके पास
दर्द लिखा हो जो किस्मत में आए
तो कैसे आए महबूब उसके पास
कैसी है ये अजब विडम्बना
तुम पास होके भी कोसो दूर हो
फासले नहीं फिर भी फासलों पे हो
सदिया बीती तुमसे मिले
नयना तरसे तुमसे मिलने
हसरत हुई ना पूरी
तमन्ना भी रह गई अधूरी
न जाने क्यो वक्त ने किया सितम
तुमसे मिलके भी ना मिले हम
बजती रहे शहनाई छूटते रहे पटाखे
सदा भरा रहे दाम्पत्य खुशियों के आँचल से
मनोकामना है हमारी
सात फेरो का बंधन
बना रहे सात जन्मो तक
सुनके बेबस चीत्कार
जिन्दगी सिहरन उठी
मानसिक यातना दे
अच्छे भले को भी रोगी बना दिया
देख मन विचलित हो गया
पुकारा रब को पूछा
कहाँ छिपे बैठे हो
चीत्कार तुम्हे सुनाई क्यो नहीं देती
क्यो मदद को आ नहीं रहे आज
सुनके ललकार रब दौड़े चले आए भक्त के पास
रख सर पे हाथ मिटाए सारे संताप
वो संगम भी क्या खूब होगा
जब दो दिलो का मिलन होगा
चकित रह जाएगी दुनिया
जब दो प्रेमियों का मिलन होगा
मिलन कुछ ऐसा होगा
मधुर रस की नदिया बहेगी
बस ओर कुछ नहीं
एक नई प्रेम कथा अनावरण होगी
क्यों हो रही हो खफा यार
बजने दे दिल की गिटार
बुला रही है तुम्हे मेरे दिल की सितार
चली आओ जाने बहार
मौसम भी खुश मिजाज
तेरे संग की मुझको है दरकार
भुला के सारी बात
सुनले प्रेम आलाप
मधुवन में कर रहा हु तेरा इन्तजार
तुम ही हो मेरी जाने बहार
मिलने तुमको नाच रहा है
मयूर मन बार बार
उड़ के चली आ मेरे पास
सुनाऊ तुमको प्यार भरी राग
जल उठी चितां
खाक हो गया शरीर
पञ्चतत्व से बना तन विलीन हो
राख में हो गया तब्दील
नश्वर तन था
छोड़ गया प्राण शरीर
अमर थी आत्मा
धारण कर लिया दूसरा शरीर
क्यों दर्द इतना गहरा होता है
क्यों अकेलापन इतना बुरा होता है
क्यों अखरती है जिंदगानी
जब ख़ामोशी चुपके से दस्तक दे जाती है
कैसी ये घड़ी होती है
सब होते हुए भी ना होने का अहसास जगाती है
चिंता की लकीरे मस्तस्क पे उभर आई
देख के हश्र जिन्दगी का
अंतर्मन की व्यथा मुखरित हो आई
आतंक का ग्रास बन रहा है मानव
सभ्य समाज में ये पीड़ा कहा से चली आई
कहीं इस काल की परछाई
हमारे अपने ही विचार धाराओ की उपज तो नहीं
सोच सोच ये चिंता मन को खायी
भय मुक्त समाज की रचना करने हेतु
किसीने तो करनी होगी पहल आगे आय
इसलिए ले लिया निर्णय ये आज
जलाऊ एक ऐसी मशाल
भस्म हो जाए जिसमे सारे आतंकवाद
कौम के लिए बन जाऊ एक मिशाल
कहर बरपाती है चक्रवर्ती तूफ़ान
तभी तो इनके नाम है लडकियों के नाम
मच जाती है विनाश लीला
छा जाती है तबाही
जब पहुँच जाती है लडकिया या तूफ़ान
विनाश का तांडव दिखलाना
मौत के बबंडर उडाना
ही तो है इनका काम
तो फिर क्यो ना हो नाम इनका एक समान
हो कामयाबी के अश्व पर सवार
निकल चला एक नए अभियान
करनी है दुनिया फतह आज
बस यही एक लक्ष्य है पास
रुक ना सके अश्वमेघ ये
बिन अर्जित किए बुलंदिया शोहरत की प्यास
नाज हो मुझको भी
याद रखे दुनिया मेरे को भी
बेखबर हम ही थे
यक़ीनन वो तुम ही थे
नादां तुम भी थे तभी
रह गई थी बात अधूरी
जो हम समझ न सके
वो तुम भी कह न सके
बनके अजनबी चाहत तलाशते रहे
पर करते है प्यार तुम्ही से कह न सके
ख़बर हो गई ज़माने को
साजिश कोई थी मुझ से दिल लगाने को
राज जो अब तलक दफ़न था दिलो में
पता चल गया दिलवालों को
हो गए है हम भी तेरे दीवाने
ख़बर हो गई ज़माने को
करना है क्या विचार
जब हम करते है तुम से प्यार
रच गई मेहंदी तुम्हारे हाथ
आ पहुँची मेरी बारात तेरे द्वार
करले अब सोलह श्रृंगार
बन मेरी दुल्हन चल पड़ मेरे साथ
ईमानदारी से किया गया प्रयास
सफलता की कशोटी पे खरा होता है
परख तभी होती है
जब मुसीबत आन पड़ती है
धेर्य और संयम से लिया निर्णय ही
कामयाबी की कुंजी होती है
ओ जीवन खवैया रे सुनलो मेरी पुकार
करादो मुझको भी भवसागर पार
लहरों की मस्ती में टूट न जाए मेरी नाव
करदो मेरा भी बेडा पार
सुन के चले आओ मेरी करुण पुकार
ओ सबके पालनहार
शरण में मुझको भी ले लो आज
मिटा दो मेरा संताप
करादो भवसागर पार
ओ जगत के पालनहार