Tuesday, October 21, 2014

अर्धसत्य

अर्ध सत्य दुनिया दिखलाती है

नजारा कुछ ऐसा दिखलाती है 

धुंध के चादर में लिपटे सितारों को

जैसे चाँद बताती है

छटे कोहरे के बादल पहले इसके

अपने तिल्सिम का हुनर दिखलाती है

बेजुबाँ में भी जुबां बतलाती है

ऐतबार ऐसा दिखलाती है

जो ह नहीं उसके सपने दिखलाती है

वाकई हर अंदाज में

एक नयी उपस्तिथि दर्ज कराती है

मासूमियत की आड़ में

लुटेरों का संसार चलाती है

अर्धसत्य दुनिया दिखलाती है

अर्धसत्य दुनिया दिखलाती है  

Tuesday, October 7, 2014

उम्मीद

ख़ामोशी से दुनिया अपनी लुटती मैं देखता रहा

मेरी बर्बादी पे वो पागलों की तरह हँसते रहे

वफ़ा के बदले बेवफाई के सितम सहते रहा

दिल के हाथों मजबूर

जज्बातों के आवेग में बहता रहा

पर किस्मत को रास ना आयी ये दोस्ती

एक बेवफा से दिल लगाने की भूल कर बैठा

खिलौना बन कठपुतली की तरह

उसके इशारों पे नाचता रहा

फिर भी बेवफा से वफ़ा की उम्मीद करता रहा

Wednesday, October 1, 2014

रिश्तों से डर

रिश्तों से डर लगता है अब

किसी को अपना कहने से भय लगता है अब

रिश्तों को भूल अपने ही

पराये बन जाए सपनें जैसे जब

कैसे नाता उनसे जोड़े तब

कच्चे धागे की इस डोर को

जोड़े फिर कैसे हम

रिश्तों से डर लगता है अब

बार बार के तानों से ही

रिश्तों को जो यह नया आयाम मिला

मुकाम रिश्तों का फिर एक नया बना

रिश्तों का इसीलिए यह अंजाम हुआ

किसी को अपना कहने का अब दुःसाहस ना हुआ

और रिश्तों से भय लगने लगा है अब




हमराज

मैंने ख़ामोशी को हमराज बना लिया

लफ्जों को जुबाँ ना दू

इसलिये

बातें जो दिल में थी

उन्हें वही दफ़न कर दिया

जज्बातों की आँधी से

मर्माहत ना हो रिश्ते

मैंने इसलिए ख़ामोशी को

हमराज बना लिया

मंजर ख़ामोशी का

बड़ा ही भयावह है

पर अपनों की खातिर

छोड़ लफ्जों का साथ

मैंने ख़ामोशी को हमराज बना लिया

नयी कहानी

क्यों ना फिर एक नयी कहानी लिखें

इस प्यार को एक नया मुकाम दे

दर्पण तू मेरा बन जाए

साया मैं तेरा बन जाऊ

मोहब्बत के सुर

जैसे दिलों की अजान बन जाए

पढ़े जो कोई इस इबादत को

इसमें ही उसे

खुदा का नूर मिल जाय

प्यार के इस पैगाम से

रुकी साँसों में भी

एक बार धड़कनें लौट आये

आओ सफर की इस  मंजिल पे

थामे हाथोँ में हाथ

अपने प्यार को एक नया नाम दे

क्यों ना फिर एक नयी कहानी से

प्यार का इजहार करे

आगाज करे