Wednesday, December 23, 2009

प्रभात

कर रहा हु इन्तजार

ढल रहा है दिन हो रही है शाम

होगा भाग्य उदय कल तो

कह रहा है मन ये बार बार

किया नहीं जब कोई अनुचित काम

निश्चय ही रब देगा मेरा साथ

निराश अभी हुआ नहीं

फैलाये बाहे कर रहा हु

एक नए प्रभात का इन्तजार

लड़क्प्पन की कहानी

चलती है जब बात पुरानी

याद आ जाती है लड़क्प्पन की कहानी

चंदा की वो कहानी जिसे सुनाती थी माँ

माँ के ममता में लिपटी वो लोरी की रागिनी

सुनके जिसे सो जाते थे माँ के आँचल में

अब ना कभी लोटेगी वो जिंदगानी

जब भी चले कोई बात पुरानी

याद आ जाती है लड़क्प्पन की कहानी

आत्मा

कहा दु:खी आत्मा ने भटकती आत्मा से

क्यो न हम तुम मिल जाए

कुछ तो दुनिया का भला कर जाए

अकेले अकेले सताने से अच्छा

दोनों मिल दुनिया को सताए

मज़ा आयेगा खूब

सिसकिया भरती आत्माओ

से जब होगी मुलाकात

चिंतामणि

है प्यारे बड़े ही चिंतामणि

चिंता से ये कभी मुक्त होते नहीं

नाम पड़ा इसीलिए चिंतामणि

ख़ुद की चिंता इनको सताती नहीं

देख दूसरों की खुशिया

मारे चिंता नींद इनको आती नहीं

ऐसे है अपने प्यारे श्रीमान चिंतामणि

Friday, December 18, 2009

माया

माया के मायाजाल में फंसा जो

मायाजाल के महापोश से बच न सका वो

लालसा खत्म होती नहीं

लालच कभी मरता नहीं

दलदल माया का ऐसा

इससे कोई निकल पाता नहीं

चक्रव्यू ऐसा बाहर का मार्ग नजर आता नहीं

माया से मुक्ति इतनी आसान नहीं

माया के बिना रह पाना भी आसान नहीं

एतबार

जब जब किया एतबार

तब तब तुने किया विश्वासघात

अब बेहतर हो यही

राहे चले अपनी अपनी

तुम निकल पड़ो अपनी राह

मैं चल पडू अपनी राह

अब ना कभी मिले

आओ ऐसी राह पे चले

मंत्र

सोई किस्मत जागे तभी

मंत्र ऐसा कोई जब पढू कभी

खुलने लगे बंद किस्मत के ताले

कुंजी ऐसी मिले जब कहीं

सफलता के राज छुपे हो जिसमे

मिला ना वैसा मंत्र अभी तलक

तक़दीर की कहानी

क्यो करते हो रब मेरी किस्मत से मजाक

क्यो छल जाते हो मेरे को ही हर बार

क्यो लोट जाती है खुशिया मेरे ही द्वारे आए

हे रब कैसे तुम को बतलाऊ

पीड़ा कैसे तुम को दरशाऊ

जब तुम ख़ुद ही अन्तर्यामी

क्यो नही बदल देते

किस्मत की मारी तक़दीर की कहानी

बदकिस्मत

क्यो हु मैं इतना बदकिस्मत

कोशिश जी जान से करू

कमी रखु न कोई ना कोई कसर

फिर हर बार क्यो मिले असफलता

कुदरत ने शायद तक़दीर में कामयाबी लिखी नही

कामना सफलता की इसलिए काम ना आए

इस गहरी चोट को जुबां से वयां किया जा ना सके

Thursday, December 17, 2009

रंग

मच गई मच गई रंगों की हुडदंग मच गई

भर गई भर गई रंगों की पिचकारी भर गई

रंग गई रंग गई रंगों के रंग में दिल की किताब रंग गई

रंगी रंगी ऐसी रंगी हर पन्ने प्यार के रंगों से रंगी

खिल गई खिल गई रंगों की रंगत खिल गई

छा गई छा गई रंगों की मस्ती छा गई

भा गई भा गई दिल को भा गई रंगों की रंगीनी भा गई

रंग गई रंग गई रंगों की बारिस में हर चाहत रंग गई

दिलजले

आग लगनी हो दिल को

तो याद करो हमको

हमसे बेहतर है कोई नही

हुनर ऐसा लाजबाब

ख़बर हो जब तक आप को

जल उठा होगा दिल तब तलक

प्यार की इबादत करते है हम

तितलियों के दिलो में रहते है

दिल जलाने को ही दिल लगाना समझते है

इसिलये दिलजले कहलाते है हम

Tuesday, December 15, 2009

बातें

बातें थी ढ़ेरों करनी

किस्से कहानिया थी वया करनी

बतलानी थी वो बात

जिस बात में छुपे थे सारे राज

अहम् थी ये बात

जो बात बतलानी थी आज

हो ना पाई कोई बात

दफ़न हो गई वो राज की बात

रह गई ख्वाइश अधूरी बातों की आज

फिर ना कभी हो पायेगी ये बात

बात जो कहनी थी आज

सिमट गई दुनिया बातों के जंजाल में आए

बंद हो गया सदा के लिए बातों का पिटारा आज

थम गया सिलसिला बातों का इस मुकाम पे आए

खत्म हो गई सारी बातें

अब ना बची कोई बात बतलाने को

कैसे

चाहा सिर्फ़ तुम्हे ही है

सोचा किसी ओर के बारे में नहीं

यकीन कैसे तुमको दिलाऊ

कैसे सीना चिर तुमको दिखलाऊ

दुनिया मेरी होती है तुमसे ही शुरू

खत्म भी होती ही तुम पे ही आके

यारा अब तो मेरा यकीन करो

सप्ताह

सप्ताह के है सात दिन

छ: दिन झगड़ा एक दिन प्यार

कैसा अनोखा है ये संसार

झगड़े बिन चैन नहीं

प्यार में फिर भी कोई कमी नहीं

कहना है बस इतना सा

क्यो झगड़े सप्ताह के सातवे दिन

सजा

बिन खता सजा क्यों मिली

वफा के बदले रुसवाई क्यों मिली

ऐसी भी क्या बात हुई

चाहत के बदले नफरत आन मिली

खरोंच

बिछुड़ गए दिलो के तार

छुट गए हाथो से हाथ

कमजोर थी बिस्वास की डोर

टूट गई रिश्ते की डोर

लगी जो हलकी सी खरोंच

हो गई राहें जुदा जुदा

मिल न सके फिर कभी दुबारा

ज्यो हो सागर तट का किनारा

मगरूर

मगरूर इतने भी ना बनो

कुछ दिखलाई ना दे

ठोकर लग जब गिरो

कोई रहनुमा भी दिखाई ना दे

Monday, December 14, 2009

सैलाब

दर्द जब हद से गुजर जाता है

चहरे पे चला आता है

सारी हदे तोड़

आँखों से सैलाब बन

उमड़ पड़ता है

गुमान

गुमान इतना अच्छा नहीं

आनी जानी जब कुछ नहीं

फितरत भी बदल जायेगी

ठोकर जब अहंकार को लगेगी

जो क़द्र करोगे भावनाओं की

कदमो में दुनिया सारी होगी

अदाकारा

आरजू हैं फिरू वन वन

उदु तितली बन बन

छू लू धरती आसमा को

अदाकारा ऐसी बनू

हुनर से अपने जीत लू दिल सबका

अधूरी हसरतें

दिल तलाशता रहा

दीदार उनका हो ना सका

जिनके ख्यालो में जिन्दगी डूबी रही

मिले जिन्दगी के ऐसे मोड़ पे

नजरे प्यासी की प्यासी रह गई

मिलन की हसरतें अधूरी की अधूरी रह गई

खट्टास

रिश्तो में खट्टास ऐसी आई

शहद सी घुली बातों में भी

करेले की कडवाहट नजर आई

रिश्ते जो लगते थे मिश्रि से मीठे

लग रहे निम् से कडवे अब

ऐसी क्या बात हो आई

बातों में जहर की महक चली आई

चाहत की जगह नफरत चली आई

एक पल

जिन्दगी हसीन हो गई

हर शाम रंगीन हो गई

तुम जो मिले तो तन्हाई दूर हो गई

एक पल के लिए ही सही

जिन्दगी अपने आप से रूबरू हो गई

काँटो का ताज

हो जिसके सर काँटो का ताज

कैसे फूल आए उसके पास

दर्द लिखा हो जो किस्मत में आए

तो कैसे आए महबूब उसके पास

विडम्बना

कैसी है ये अजब विडम्बना

तुम पास होके भी कोसो दूर हो

फासले नहीं फिर भी फासलों पे हो

सदिया बीती तुमसे मिले

नयना तरसे तुमसे मिलने

हसरत हुई ना पूरी

तमन्ना भी रह गई अधूरी

न जाने क्यो वक्त ने किया सितम

तुमसे मिलके भी ना मिले हम

दाम्पत्य

बजती रहे शहनाई छूटते रहे पटाखे

सदा भरा रहे दाम्पत्य खुशियों के आँचल से

मनोकामना है हमारी

सात फेरो का बंधन

बना रहे सात जन्मो तक

चीत्कार

सुनके बेबस चीत्कार

जिन्दगी सिहरन उठी

मानसिक यातना दे

अच्छे भले को भी रोगी बना दिया

देख मन विचलित हो गया

पुकारा रब को पूछा

कहाँ छिपे बैठे हो

चीत्कार तुम्हे सुनाई क्यो नहीं देती

क्यो मदद को आ नहीं रहे आज

सुनके ललकार रब दौड़े चले आए भक्त के पास

रख सर पे हाथ मिटाए सारे संताप

अनावरण

वो संगम भी क्या खूब होगा

जब दो दिलो का मिलन होगा

चकित रह जाएगी दुनिया

जब दो प्रेमियों का मिलन होगा

मिलन कुछ ऐसा होगा

मधुर रस की नदिया बहेगी

बस ओर कुछ नहीं

एक नई प्रेम कथा अनावरण होगी

Monday, December 7, 2009

दिल की गिटार

क्यों हो रही हो खफा यार

बजने दे दिल की गिटार

बुला रही है तुम्हे मेरे दिल की सितार

चली आओ जाने बहार

मौसम भी खुश मिजाज

तेरे संग की मुझको है दरकार

भुला के सारी बात

सुनले प्रेम आलाप

मधुवन में कर रहा हु तेरा इन्तजार

तुम ही हो मेरी जाने बहार

मिलने तुमको नाच रहा है

मयूर मन बार बार

उड़ के चली आ मेरे पास

सुनाऊ तुमको प्यार भरी राग

शरीर

जल उठी चितां

खाक हो गया शरीर

पञ्चतत्व से बना तन विलीन हो

राख में हो गया तब्दील

नश्वर तन था

छोड़ गया प्राण शरीर

अमर थी आत्मा

धारण कर लिया दूसरा शरीर

अकेलापन

क्यों दर्द इतना गहरा होता है

क्यों अकेलापन इतना बुरा होता है

क्यों अखरती है जिंदगानी

जब ख़ामोशी चुपके से दस्तक दे जाती है

कैसी ये घड़ी होती है

सब होते हुए भी ना होने का अहसास जगाती है

Saturday, December 5, 2009

कुछ कमी

कुछ कमी है जिंदगानी में

अहसास खालीपन का जगा रही है

चेतना शुन्य दृष्टि बेजार हो रही है

हर पल चिंता शक्ति क्षिण कर रही है

घबरा रहा है मन देख ये बुरे लक्षण

सच यारों कुछ कमी तो है जिंदगानी में

याद में

मुमताज जो तुम होती

शाहजहाँ मैं होता

तेरी भी याद में

एक ताजमहल बना होता

Friday, December 4, 2009

अंतर्मन की व्यथा

चिंता की लकीरे मस्तस्क पे उभर आई

देख के हश्र जिन्दगी का

अंतर्मन की व्यथा मुखरित हो आई

आतंक का ग्रास बन रहा है मानव

सभ्य समाज में ये पीड़ा कहा से चली आई

कहीं इस काल की परछाई

हमारे अपने ही विचार धाराओ की उपज तो नहीं

सोच सोच ये चिंता मन को खायी

भय मुक्त समाज की रचना करने हेतु

किसीने तो करनी होगी पहल आगे आय

इसलिए ले लिया निर्णय ये आज

जलाऊ एक ऐसी मशाल

भस्म हो जाए जिसमे सारे आतंकवाद

कौम के लिए बन जाऊ एक मिशाल

रणबाँकुरे

बगावत की आग ऐसी जली

विद्रोह की विगुल बज उठी

हुंकार रणबाँकुरे ने ऐसी भरी

रणभेदी बाज उठी

फ़ैल गई ख़बर हर ओर

सज गई फिर समर भूमि

रणयोद्धाओ के शौर्य की

पराक्रम की कहनी अब लिखी जानी है

इतिहास में एक नए अध्याय की

इबादत लिखी जानी है

लडकिया या तूफ़ान

कहर बरपाती है चक्रवर्ती तूफ़ान

तभी तो इनके नाम है लडकियों के नाम

मच जाती है विनाश लीला

छा जाती है तबाही

जब पहुँच जाती है लडकिया या तूफ़ान

विनाश का तांडव दिखलाना

मौत के बबंडर उडाना

ही तो है इनका काम

तो फिर क्यो ना हो नाम इनका एक समान

Wednesday, December 2, 2009

अभियान

हो कामयाबी के अश्व पर सवार

निकल चला एक नए अभियान

करनी है दुनिया फतह आज

बस यही एक लक्ष्य है पास

रुक ना सके अश्वमेघ ये

बिन अर्जित किए बुलंदिया शोहरत की प्यास

नाज हो मुझको भी

याद रखे दुनिया मेरे को भी

Tuesday, December 1, 2009

बेखबर

बेखबर हम ही थे

यक़ीनन वो तुम ही थे

नादां तुम भी थे तभी

रह गई थी बात अधूरी

जो हम समझ न सके

वो तुम भी कह न सके

बनके अजनबी चाहत तलाशते रहे

पर करते है प्यार तुम्ही से कह न सके

तेरे दीवाने

ख़बर हो गई ज़माने को

साजिश कोई थी मुझ से दिल लगाने को

राज जो अब तलक दफ़न था दिलो में

पता चल गया दिलवालों को

हो गए है हम भी तेरे दीवाने

ख़बर हो गई ज़माने को

विचार

करना है क्या विचार

जब हम करते है तुम से प्यार

रच गई मेहंदी तुम्हारे हाथ

आ पहुँची मेरी बारात तेरे द्वार

करले अब सोलह श्रृंगार

बन मेरी दुल्हन चल पड़ मेरे साथ

परख

ईमानदारी से किया गया प्रयास

सफलता की कशोटी पे खरा होता है

परख तभी होती है

जब मुसीबत आन पड़ती है

धेर्य और संयम से लिया निर्णय ही

कामयाबी की कुंजी होती है

पालनहार

ओ जीवन खवैया रे सुनलो मेरी पुकार

करादो मुझको भी भवसागर पार

लहरों की मस्ती में टूट न जाए मेरी नाव

करदो मेरा भी बेडा पार

सुन के चले आओ मेरी करुण पुकार

ओ सबके पालनहार

शरण में मुझको भी ले लो आज

मिटा दो मेरा संताप

करादो भवसागर पार

ओ जगत के पालनहार

Monday, November 30, 2009

साजिश

सहमी सहमी सी रहती है दुनिया

हर तरफ़ खौफं नजर आती है

आलम दहशत का ऐसा है

हर ओर मौत नजर आती है

सन्नाटे में हवा भी

डर का मंजर बना जाती है

अंधेरे में जुगनू की रोशनी भी

एक साजिश नजर आती है

भयावह मंजर

अपने मुकाम से जो नजर उठा कर देखोगे

हर ओर लाशों के अम्बार नजर आयेंगे

आतंक से तार तार हुई जिन्दगी नजर आयेगी

छिन्न भिन्न हुई संस्कृति नजर आयेगी

देख इस भयावह मंजर को खुदा की याद आयेगी

कैसे कटेगी जिन्दगी लाशों के बीच

यह बात समझ नहीं आयेगी

जिन्दगी ख़ुद एक जिन्दा लाश बन रह जायेगी

मूकदर्शक

जिन्दगी शतरंज की विछात है

हम तो सिर्फ़ मोहरे है

शह और मात के इस खेल में

हार हमारी ही होनी है

बागडोर उपरवाले ने थाम रखी है

चाल उसने ही चलनी है

हमने तो मूकदर्शक

बस जिन्दगी जीते जानी है

जय भारत

सुनलो वो दुनिया वालो

हम है हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्ता बसे हमारे दिलो में

नही कोई हमारा सानी

अमन चैन हमारा छिनने की कोशिश न करना

टुकड़े हमारे दिलो के करने की साजिश न रचना

नामोनिशा तुम्हारा मिटा देंगे

माटी में तुमको मिला देंगे

भाषा अनेक फिर भी बोले एक ही बोली

जय भारत जय भारती

स्वाभाव

अच्छी शिक्षा उंच विचार

मजबूत बुनियाद के आधार

बिन कठिन परिश्रम

ये डगर नहीं आसान

अच्छा इंसा बनना हो

संकल्प ये करे

कार्य न कुछ ऐसा करे

दरार बुनियाद में आ जाय

सर शर्म से झुक जाय

आप का स्वाभाव ही

आप का परिचय

तो क्यो ना सत्य मार्ग पर चला जाय

आखरी ख़त

सज गई डोली आ गये बाराती

अब तो पढ़ लो मेरा आखरी ख़त

फेरे पड़ जाय किसी ओर संग

उससे पहले भरले मांग मेरे नाम की

बिदा हो गई जो किसी ओर के साथ

जीवन भर पछताओगी अजनबी को गले लगा

पढ़ ले तू ये ख़त आखरी

पगली कब समझ आयेगी ये दीवानगी

डाल के वरमाला मेरे गले

चल पड़ तू मेरे साथ ही

थामने तेरा हाथ

खड़ा हु तेरे पास ही

बस एक बार पढ़ ले तू ख़त आखरी

अहमियत

अहमियत होती है हर छोटी छोटी बातों की

कब कौन सी बात महत्वपूर्ण हो जाय

यकीन विश्वास में बदल जाय

ये कोई नहीं जानता

नाज करो मगरूर ना बनो

इंसा हो इंसा ही रहो खुदा ना बनो

ये सबक सदा याद रखो

बहन भाई

बहन भाई का नाता

जनम जन्मान्तर का ये नाता

सबसे पवित्र ये नाता

राखी की डोर से बंधा नाता

टूट नहीं सकता ये नाता

धागे से बंधी है इस रिश्ते की नाल

स्नेह से बंधी है इस रिश्ते की आंच

ऐसा सुंदर है भाई बहन का दुलार




Saturday, November 28, 2009

वो रात

कैसी वो रात होगी

तुम मेरे साथ होगी

तारो की बारात होगी

नाचती झूमती पवन की बयार होगी

कैसी हसीन वो रात होगी

सिर्फ़ तेरी मेरी बात होगी

तेरे मर्म स्पर्शी आगोस में रात होगी

कितनी प्यारी वो मिलन भरी रात होगी

कैसी वो रात होगी

नजर ना लग

आप के पैरो की नुपुर छम छम कर जब बजे

मेघा रानी छम छमा छम बरसे

माथे की बिंदिया जब चमके

आफ़ताब की आभा की खूब दमके

हाथो का कंगना जब खनके

कोयल लगे गीत सुनाने

चेहरा जो घूँघट में छिप जाए

आसमा में चाँद भी नजर ना आए

ये हुजुर आपके हुस्न को

कहीं हमारी नजर ना लग जाए

बात

अभी अभी बात चली है

बात के साथ बात चली है

इस बात में बात जुड़ी है

बात से बात भड़ी है

जितने मुहँ उतनी बात बनी है

बात बात का फेर है

कोई समझे इशारो में बात

कोई ना समझे कहने से भी बात

बात बड़ी गंभीर है

इससे बड़ी और क्या बात है

जीवन में बातों का ही तो साथ है

यही सबसे अच्छी बात है

लहर

साहिलों से टकराकर मौजे वापस लोट आई

उठी जो ऊँची लहर कस्ती डूबा गई

शांत हुई जब लहरे

कस्ती भी पहचान न आई

लुट गई किस्मत

बह गई जिन्दगी

रह गई सिर्फ़ गमों की बस्ती

Friday, November 27, 2009

एक नार

स्वच्छ निर्मल पावन

कांति आभा तर्पण

कोमल मनोहर नयन

फूलो का दर्पण

सुंदर सोम्य संयम

बेजोड़ है संगम

ऐसी चाहिए एक नार

जो बदल दे मेरा जीवन

भर दे सुखो से संसार

दिल की चोर

ढूंडी मंजिले बहुत

तलाशी राहें अनेक

सब आकर थमी

तेरे ही आगे

क्यो कुदरत चाहती है

तेरा मेरा साथ

क्यो ठहर जाते है कदम

आके तेरे ही पास

क्या है जो बाँध रही

तेरी मेरी डोर

क्या तू ही है

मेरे दिल की चोर

Thursday, November 26, 2009

बरबस

खोके तुम्हे ये अहसास हुआ

दर्द जुदाई का क्या होता है

ये मुझको अहसास हुआ

बरबस ही दिल रो पड़ता है

तुमको कभी ना भूल सकता है

पास रहे तब कदर ना जानी

छोड़ चले गए तब ये समझ आई

नादानी हमसे हुई

तेरे सच्चे प्यार का पहचान ना सके

शकुन्तलम

सुन्दरम नयनाभिरामं

कोमलांगम मधुरं

ओ मेरी प्रियतम

खुदा भी कहे तुम हो मन मोहनं

ओ शकुन्तलम प्रियतम

तुम ही हो प्रिय बांधवं

तुम ही सबसे सुन्दरम

ओ मेरी प्रियतम

सुन्दरम नयनाभिरामं

कोमलांगम मधुरं

ओ मेरी प्रियतम

बेरहम

अगर समझ जाते सचाई

तो खुदा ना बन जाते

पी लेते अमरत्व

तो अमर ना हो जाते

जो पा लेते तुझे

तो मंजनू ना बन जाते

मिल गया होता प्यार यदि

तो बेरहम ना कहलाते

Wednesday, November 25, 2009

गमों का सागर

गमों का सागर इतना गहरा

लहर उठी ऊँची ऊँची

फंस गई नैया बीच भवर में

दुखो का पहाड़ इतना ऊँचा

राह न कोई नजर आई

टूट गई जिन्दगी

भर आई आँखे

जीने की अब कोई चाह न रही

सौतन

सौतन का पता हम को चल गया

ख़त से पता उनका मिल गया

लाख छिपाओ मगर हमको पता चल गया

छुप छुप मिलने का राज खुल गया

तस्वीरों में उनका चेहरा मिल गया

बाकी अब कुछ ना बचा

जो था वो फ़ोन से खुल गया

कल्पना की उड़ान

कल्पना की उड़ान स्वछंद हो

ना किसी से तकरार हो

ना विचारो का टकराव हो

मुक्त गगन उड़े ऊँची उड़ान हो

सुंदर स्वप्निल कल्पना साकार हो

प्यार बसे जिसमे सबका

वो सपना साकार हो

बचपन

वो माटीके पुतले वो मट्टी के खिलौने

वो बचपन की यादे वो लड़कपन की बातें

टूटते खिलौने बरसते आंसू

वो बेजान पुतले वो मट्टी के खिलौने

लगते सबसे अज़ीज़ वो खिलौने

छुले कोई तो लड़ना झगड़ना

वो रोना वो रोते रोते हँसना

वो माटी के खिलौने

जिनके संग बचपन गुजरा

देखू जब भी माटी के खिलौने

याद आ जाए बचपन दुबारा

Tuesday, November 24, 2009

जन्नत

बात क्यो ना फिर खास हो

जब तुम मेरे साथ हो

सुन तेरी प्यार भरी बात

लगने लगी दुनिया हसीन

अहसास क्यो ना फिर खास हो

जब आँचल में लिपटा प्यार हो

पा के तेरी आगोश क्यो ना फिर

दुनिया जन्नत से हसीन हो

हमदर्द

कुछ अनछुए पहलु दिल को छु जाते है

जज्बात आंसू बन निकल आते है

भावनाओ का समंदर सैलाब बन उमड़ आता है

इस एक पल को अजनबी भी अपना नजर आता है

मीठे बोल जो बोलले वो हमदर्द नजर आता है

Monday, November 23, 2009

प्रेयसी

ओ हो प्रेयसी तेरी मेरी दोस्ती

बनके बर्षा बहार छायी

एक नई रोशनी नजर आई

सबसे जुदा ये तेरी मेरी दोस्ती

खो ना जाए हम कहीं

टूट ना जाए ये दोस्ती

आ तलाशे तेरी मेरी दोस्ती

कह रही है फिजा

रंग लाने लगी है हीना

बहने लगी है हवा

देख तेरी मेरी दोस्ती

प्रेयसी ओ प्रेयसी

तेरी मेरी ये दोस्ती

कलमा

कलमा मोह्बत का लिखा

ख़त तेरे नाम लिखा

दिल की भाषा में पैगाम लिखा

करते है तुमसे मोह्बत

ये पयाम तेरे नाम लिखा

ख़त तेरे नाम लिखा

कैसे कहू

कहना जो चाहू वो कह नही पाऊ

कैसे मैं तुम को बताऊ

क्यो मैं तुम को चाहू

ओ यारा दिलदारा

दिल तेरे हाथो हारा है

आजा गले मुझे लगा जा

मेरे प्यार को मांग में सजाजा

दामन प्यार के फूलो से महका जा

ओ यारा दिलदारा

कहना जो था वो है मैंने कह दिया

तुझको है रब का वास्ता

मेरे को अपना बनाजा

ओ यारा दिलदारा

कुंजी

हसरते प्रेरणा बन जाती है

जब ख्वाईसे अधूरी रह जाती है

जूनून कर गुजरने की संजीवनी बन जाती है

जब हर बार असफलता हाथ आती है

बुलंदियों को छु लेने की तम्मना पूरी हो जाती है

जब कामयाबी की कुंजी हाथ आ जाती है

वादा

वादा तुझसे किया उसको निभाना है

तुझको ओर ना रुलाऊ

ओर ना तुझको सताऊ

ऐसा मुझको बन जाना है

प्यार किया तुझसे उसको भी निभाना है

तेरी खातिर कुछ भी कर जाना है

जो वादा किया उसको निभाना है

तारे

तारों ने सिखलाया

बुझे चिराग को जगमगाया

आसमां में रहो सदा

जगमगाओ धुर्व की तरह

करके रोशन जहाँ

करलो दुनिया मुठी में

देखने तेरा स्थान

करने तुम्हे प्रणाम

दुनिया हो जाए बेत्ताब

करलो कुछ पुण्य का काम

Saturday, November 21, 2009

पगडंडिया

पगडंडियों पे चलते गए

लघुतम मार्ग खोजते गए

झुरमुठो को झाडियों को

रोंद आगे बड़ते गए

जूनून इस कदर हावी था

सफलता पाने का

कदम ख़ुद व् ख़ुद बड़ते गए

मंजिल तो नसीब ना हुई

भूल भुलैया खो जरुर गए

वो रात

सफर खत्म हो चला रात गुजर गई

बीते लहमे याद बन दिलो में बस गए

नींद अब आती नहीं

पलके एक पल के लिए भी झुकती नहीं

तस्वीर वो आँखों के सामने से हटती नहीं

बिन उनके नींद अब आती नहीं

बीती रात भूली जाती नहीं

उनके बैगर अब रात गुजर पाती नहीं

Friday, November 20, 2009

पूंजीवाद

जब से पड़ी पूंजीवाद की साया

उपभोक्ता बाजार चला आया

आधुनिकता की होड़ मची

बदल गई जीने की तस्वीर

दौलत हो या ना हो

सब हाज़िर हैं फिर भी सब किस्तों मैं

किस्ते बनने लगी जी का जंजाल

आमदनी अठ्नी खर्चे बेहिसाब

किस्त चुकाने लेने पड़े किस्त उधार

वाह रे वाह पूंजीवाद

गुजर गई जिंदगानी चुकाते चुकाते किस्तिया

जो कल तक लग रही थी आसान

समझ नहीं सका मानव पूंजीवाद की फांसिवाद

जय हो पूंजीवाद

तेरा मेरा साथ

रोमं रोमं में बसा हैं तेरा ही नाम

इस काया में दिखे तू ही सुबह शाम

नस नस में बनके लहू बहे तेरा ही प्यार

हर धड़कन हर साँसे तेरे ही नाम

हृदय समायी हो बनके मेरी ही पहचान

सात जन्मो तक बना रहे तेरा मेरा साथ

Tuesday, November 17, 2009

चाँदनी रात

लो फिर चली आई वो चाँदनी रात

हम तुम तुम हम बैठे डाले हाथो में हाथ

बिन मिलन गुजर ना जावे ये हसीन रात

चंदा चमके बनके तेरे माथे की बिंदिया है आज

लो फिर चली आई वो चाँदनी रात

आओ एक दूजे की आँखों में करे चाँद का दीदार

पुरा है चाँद छटक रही चाँदनी

दमक रही बन के प्यार

आओ खो जाए एक दूजे में

गुजर ना जाए ये रात

लो फिर चली आई वो चाँदनी रात

योद्धा

समर भूमि का जो वर्णन आया

सुन के मन रोमांचित हो आया

कैसा रहा होगा वो समर

जब होती थी आर पार की लड़ाई

अस्व पे होके सवार

लेके हाथ भाल और तीर कमान

वीर चल पड़ते थे करने न्योछावर प्राण

सचमुच वो थे योद्धा महान

सुन के वीरो का बलिदान

मन में आए उत्तम विचार

जल और अग्नि

रिश्ता जल और अग्नि का

एक दूजे के पूरक रिश्ता

एक जलाये दूजा आग बुझाये

बिन इनके नहीं सृष्टि सम्भव

चाहे तो दोनों विनाश का कहर वरपा दे

चाहे तो वरदान के फूल खिला दे

रिश्ता जल और अग्नि का

एक दूजे के पूरक रिश्ता

Monday, November 16, 2009

मधुशाला की पुकार

मधुशाला कहे कभी मेरे घर भी आओ

मधुरस एक घुट अपने नाम कर जाओ

भूल जाओगे सारे गम

जो मेरी आगोश में आ जाओगे

वादा रहा ये मेरा तेरे साथ

जो किया मेरा रसपान

दूर ना मुझसे कभी रह पाओगे

भूल के दुनिया सारी

मेरे घर रहने चले आओगे

पुकार पुकार कहे मधुशाला

कभी मेरे दर पे भी तो आओ

Saturday, November 14, 2009

लिखना

फिर कुछ कहोगे तो कुछ लिखूंगा

कुछ ना कहोगे तो भी लिखूंगा

लिखना छोड़ सकता नहीं

जज्बातों से नाता तोड़ सकता नहीं

एक यही तो हमदम है

जिसके सहारे जिन्दा हु

कहनी होती है जब भावनावो से भरी दिल की बात

एक इसी का तो होता है साथ

फिर कैसे छोड़ दू इसका साथ

फिक्रमंद

फिक्रमंद हु कल्पना भविष्य की करके

बादल रही है पल पल ये घड़ी

बयार बदलाव की जो चली

सारे आज को बादल गई

फिक्र ना फिर कैसे करू

सोच सोच भविष्य के बारे में डरा करू

Friday, November 13, 2009

एकता

एक सूत्र में बंधे रिश्ते

लगे पिरोई हो भिन भिन फूलो की माला जैसे

जब बंधे हो सब एक सूत्र से

तो कहलाये ये अटूट रिश्ते

खुली हो अंगुली तो हाथ बने

बंद हो तो मुक्का कहलाये

एक एक कर जो आपस में जुड़ जाय

कोई ताकत उसने ना तोड़ पाय

प्यार में ही एकता

सूत्र का मंत्र जो समझ जाय

फिर ना जीवन में वो कभी हार पाय

कौन

बड़ी मतलबी है ये दुनिया

निकलना हो जब कोई काम

याद आ जाती है पुरानी पहचान

मान न मान मैं तेरा मेहमान

वक्त का तकाजा है यही

गधे को भी बाप बनाना है सही

निकल जाए जो काम

भूल जाए सारी पहचान

हद हो जावे बेशर्मी की तब

मुलाक़ात हो जावे अनजाने में जब

पूछे कौन हो महाशय आप

क्यो पड़ रहे हो गले आके मेरे

नहीं करता बात चित

अनजानों अपरिचितों से आज कल

समझ आ गई होगी मेरी बात अब तो आप को

Thursday, November 12, 2009

बदकिस्मत इंसान

मैंने रब से मेरी तक़दीर के बारे में जो पूछा

कहा उसने ख़राब है तकदीर तेरी

बड़ा ही बदकिस्मत इंसान है तू

अभागे हाथो में लकीर ही नहीं है तेरे

किस्मत की तो छोड़

हक़ नहीं है जीने का भी तुझे पगले

मायूसी

क्या सचमुच मैं इतना बुरा हु

जो किस्मत हर बार दगा दे जाती है

मंजिल पास आ फिर दूर चली जाती है

सपने बिखर जाते है

मायूसी चहरे पे छा जाती है

रब भी मेरी प्रार्थना काबुल नहीं करता

शर्मिंदगी फिर सब के आगे उठानी पड़ती है

ब्यथा मेरी है आंसुओ में लिपटी

लाचारी एसी रो भी ना सकू

पीडा अपनी किसी को बया भी ना कर सकू

शायद मैं सबसे बुरा हु इसीलिए

जल

जल बिन जीवन नहीं

जीवन बिना अर्थ नहीं

अर्थ बिना सृष्टि नहीं

सृष्टि बिना जल नहीं

जल है वरदान

ना खेलो सृष्टि के साथ

कही बन ना जाए वरदान अभिशाप

प्यार का दर्द

ढाई कोश चले एक पहर में

एक सदी लगी ढाई आखर का अर्थ समझने

कथा ये विचत्र पर निराली है

अजब प्रेम की गजब कहानी है

साथ रहे जीवन भर

पर समझ ना पाए प्यार का दर्द

अंत समय आया तो

दिल को ये ख्याल आया

अब तो कह दू

प्रेम हमें तुमसे ही है

इस्तकबाल

पहले तुम ताजमहल लगती थी

अब खंडहर दिखती हो

उम्र हावी होने लगी

बुनियाद कमजोर होने लगी

स्वरुप तुम अपना खोने लगी

झुरिया चहरे पे छाने लगी

तू मौत को इस्तकबाल करने लगी

दिलवाले

जली शमा परवानो के लिए

खिली कलिया भवरो के लिए

बने अफसाने फसानो के लिए

गुलशन हुआ चमन प्यार के लिए

बनी मोह्बत दिलवालों के लिए

परछाई

ना जाने क्यो पर चला जा रहा हु


अनजानी मंजिल की ओर


ना पहुँच सके तेरी परछाई जहाँ किसी रोज


वादा जो किया जाने का


आ गया वक्त उसे निभाने का


दिल को है समझाया


उनकी खुशियों की खातिर है जाना


प्यार है खुदा की निमत


कैसे किया वादा मैं तोड़ दू

फर्क

फर्क इतना है

तुने किसी ओर के शब्दों का सहारा लिया

हमने अपने शब्दों का

तुने दुसरे की भावनाओं को अपनी अभिब्येक्ती बनाया

हमने अपनी भावनाओं को उज्जागर किया

अन्तर ये बहुत बड़ा है

फासला बहुत ज्यादा है

इसलिए फर्क लाजमी है

मकबरा

कल किसी ने पूछा क्या कल भी मेरा हाथ थामे रहोगे

मेरे मरने के बाद मेरा मकबरा बनवाओगे

हँस कर हमने कहा

भविष्य को छोडो वर्तमान की बात करो

बात मकबरे की कर रहे हो

देख सामने ताजमहल फिर क्यो घबरा रहे हो

तलाक

ठीक कहा तुने साथ अब अपना निभ सकता नहीं

मजबूरन ढोने पड़े उन रिश्तो की जरुरत नहीं

यार गाड़ी ऐसे चल सकती नहीं

तलाक से अच्छा सुझाब नहीं

तेरा नाम

अक्स तेरा दिल में बनाया था

मोह्बत ये मल्लिका तुझको बनाया था

सपनो के उड़नखटोले से उत्तार दिल में बसाया था

साहिलों में डूब ना जाओ नजरो में समाया था

रेत पे लिखे नाम की तरह ना मिट जाओ

इसलिए तेरा नाम अपने सीने पे खुदवाया था

फिक्र

क्यो ढूंढे उन्हें जिन्हें हमारी फिक्र नहीं

रेत पे उनका अक्स बना निहारते रहे

इसका अर्थ ये नहीं

उनके बिना हम जी सकते नहीं

साहिलों से टकरा प्यार की कश्ती जो डूब गई

इसका मतलब ये नहीं मोह्बत हमारी मर गई

Monday, November 9, 2009

मेरे दिल की परी

बेगाना हो भटकू गली गली

खोजू प्यार हर कलि कलि

मिली ना कोई सुंदर कलि

कह सकू जिससे बात प्यार भरी

भटक रहा हु गली गली

कहीं तो मिलेगी मुझको भी

मेरे दिल की परी

संग जिसके होगी मेरी डोर बंधी

क्यो ना खोजू अपनी प्रेम दीवानी गली गली

पागल पवन

ओ री पवन सुन री पवन

ओ री पागल पवन

बरसी जो घटा बनके शीतल चुभन

उड़ने लगी खाबो की उड़न

बरसने लगी उमंगो की तरंग

ओ री पवन सुन री पवन

ओ री पागल पवन

बदलने लगा आसमा का रंग

छाने लगी मेघो की छम छम

गाने लगी कोयल गीतों बहार

उठने लगी मन में उमंगें हज़ार

झुमने लगा दिल ये बार बार

ओ री पवन सुन री पवन

ओ री पागल पवन

समझ

बोल के समझाया

कर के दिखलाया

इशारो से बतलाया

पर उनकी समझ कुछ भी ना आया

किस मिटटी का बना है ये इंसान

जानते समझते हुए ना समझ बन रहा है

समझ में ना आई ये बात

जो कहा भेंस के आगे बीन बजाने से क्या फायदा

हँस कर उसने कहा

अदा तुम्हारी दिल को भा रही थी

तरीका समझाने का अच्छा लग रहा था

इशारे मन को लुभा रहे थे

तुम पास रहो इसलिए ना समझ बन रहा था

विनम्र निवेदन

हे ईश्वर इतनी शक्ति मुझको दे दो

पिता को दिया वचन पूरा कर पाऊ

थोडी कृपा मुझ पर भी कर दो

क्रोध मेरा भी हर लो

बहुत लुटाया क्रोध में

अब ना ओर कोई अनिष्ट हो

मेरे परिवार के लिए मुझको संभाल लो

बोली कर दो शहद सी मीठी

गुस्सा गाली कर दो काफूर

ना देवे दुआ कोई बात नहीं

किसीकी बददुआ क्यो मैं लू

इसलिए हे ईश्वर सुन कर मेरा भी विनम्र निवेदन

मदद मेरी कर दो आज

पिता को दिए वचन की रह जावे लाज

ऐसा आर्शीवाद मुझको भी दे दो आज

Saturday, November 7, 2009

निंद्रा

हे मानव निंद्रा से जागो

जीवन सार को पहचानो

गीता उपदेश को जानो

सब कुछ यही रह जाना है

फिर क्यो करो भेद भाव

आओ मिलके रहे अमन के साथ

जो बदलनी किस्मत धरा की आज

तो मानव अब तू निंद्रा से जाग

साँसों की डोर

रुक रही साँसों को थाम लो

हो ना जाए देर इससे पहले

मेरे नाम की मांग सजालो

बिन तेरे कुछ भी नहीं

कैसे तेरे बिन जिया जाऊ

इन साँसों की डोर बंधी है

तेरी साँसों की डोर से

हो ना जाए देर कही

आके मेरा हाथ थाम लो

Wednesday, November 4, 2009

पाठ

खोली जो किताब चक्कराने लगा सर

देख के पाठ मुख से निकल पड़ा

इतना बड़ा पाठ हो नही सकता मुझसे याद

सुनते ही इतना मास्टरजी बोले

बच्चे जरा खड़े हो जाओ

मुर्गा बन सब को दिखलाओ

जब हो सकते है बेहुदे गाने याद

तो क्यो नही हो सकता पाठ याद

अब तुमको आयगी नानी याद

बनते ही मुर्गा हो जाएगा पाठ याद

कैसा अपनापन

कैसी अजब माया कैसा अजब खेल निराला

दोस्त है मगर गिनती दुश्मनों में ज्यादा है

प्यार है मगर नफरत उससे भी ज्यादा है

चाहे किसी ओर को ये भी उनको मंजूर नही

दूर एक दूजे से रहे ये भी मंजूर नही

ये कैसा प्यार है कैसा अपनापन है

हमको मालूम नही

Tuesday, November 3, 2009

भाषा

लगता है भाषा प्यार की समझ नही आती

हर छोटी छोटीबातों पे तलवार निकल आती है

ना जुबान पे कोई लगाम होती है

लड़ने को आतुर भोये तन जाती है

कड़वाहट वो भी नीम चडे करेले सी हो जो

दोस्तों को भी दुश्मन बना देती है

फिर भाषा प्यार की समझ नही आती है

गुलदस्ता

इस सुंदर गुलिस्ता में गुलदस्ता एक सजाया है

प्यार की खुशबू इसे महकाया है

काँटो को निकाल गुलाब से इसे बनाया है

गुलदस्ते की तरह खिलता रहे चमन

पैगाम ये दिलो में महकाया है

Monday, November 2, 2009

पीय की राह

पहन के हाथो में कंगन

पैरो में पायल , कानो में झुमका

लगा के माथे पे बिंदिया

बालो में गजरा ,हाथो में मेहंदी

पिया निहार रही साजन की राह

गाके मधुर मिलन राग बुला रही

साजन जी जल्दी घर आना

संग तेरे है हमको जाना

कर के सोलह श्रृंगार

कर रही हु तेरा ही इन्तजार

अब ना देर लगाओ

चंदा की चाँदनी ढल जावे

इस से पहले तुम आ जाओ

आ जाओ आ जाओ

सजन अब तो आ जाओ

नफरत

कोशिश बहुत की पर तुझ से नफरत ना कर पाया

दिल को बहुत समझाया पर इसे मना ना पाया

फासला ज्यादा था दूर जाना जरुरी था

पर लोट के तेरे पास ही आना होगा ऐ मालूम ना था

Sunday, November 1, 2009

इन्तजार

इन्तजार उनका का किया

रात ढलने को आई

शमा बुझने को आई

पर कोई पैगाम ना लायी

बैठे रहे जिनके इन्तजार में

बेमुरबत वो ना आई

ऐसी भी क्या बेरुखी दिखलाई

की एक पल के लिए उनको

हमारी याद भी ना आई

Saturday, October 31, 2009

भुलाना

भुलाना तुझे बहुत चाहा

पर भुला ना पाये

बीते लहमो को भूल ना पाये

कोशिश की मगर

यादो के झरोके को बंद ना कर पाये

ख़ुद को तुझ से जुदा ना कर पाये

अहसास तेरा भुला भुला ना पाये

कहने को नफरत भी की

फिर भी तुझको भुला ना पाये

चाहा तो बहुत तुम को भूल जाए

पर चाह कर भी भूल ना पाये

लड़ना झगड़ना

जुदा जुदा एक दूजे से खफा खफा

माने ना सुने ना

रूठा रूठी छोडे ना

एक दूजे बिन रह पावे ना

लुक्का छिपी छोडे ना

हर बातों पे तकरार छोडे ना

साथ एक दूजे का कभी छोडे ना

प्यार से इनकार करे ना

पर लड़ना झगड़ना छोडे ना

प्रेम अनुभूति

क्यो होती है प्रीत क्यो होता है प्यार

जो ना होती प्रीत ना होता प्यार

ना होते श्याम ना होती राधे

इनकी जुगल छबि से ही है प्रेम रस की दुनिया

दिल से दिल को जोड़ना ही है प्रेम की रचना

क्यो प्यार में होता है दर्द क्यो होते है आंसू

दर्द प्यार बडाता है आंसू गम भुलाते है

जो ना होते आंसू तो ना होता दर्द

ना पीती मीरा जहर

ना समझती पाती दुनिया प्रेम अनुराग

क्यो होती प्यार में कसीस क्यो होता है जादू

जो ना होती कसीस ना होता जादू

तो ना होती चाहत

ना होती राधा ना होती मीरा

ना बहती प्रेम की अमृत धारा

जो ना होती प्रीत ना होता प्यार

जो ना होता दर्द ना होते आंसू

जो ना होती कसीस ना होता जादू

तो फिर खुदा क्यो दिल ये बनाता

दिल की धड़कन ही है प्रेम अनुभूति

सारी दुनिया है इस ढाई आखर में ही सिमटी

Friday, October 30, 2009

नसीहत

हम दुश्मनों में भी दोस्त तलासते रहे

अपने हाथो अपना दामन जलाते रहे

एक अजनबी ने कहा

क्यो अपने ऊपर सितम डाहते हो

गैरों के पीछे क्यो अपनी जिंदगानी लुटाते हो

वक्त रहते संभल जाओ

लोट के अपनों के पास आजाओ

शिकार

तरकश के तीर खत्म होने आए

शिकार एक हाथ ना लगा

वन वन भटका

निशाना एक ना लगा

धनुष की टंकार

हाथियों की हुंकार

नगाडो की आवाज़

शिकार एक ना निकाल पाए

आवाज़ को लक्ष्य कर जो तीर चलाया

वो निशाने पे जा लगा

शिकार के सीने को बेंध प्राण हर गया

रंग

रंग डारो रंग डारो

दिल को मेरे रंग डारो

अपने प्यार की कुच्ची से रंग डारो

लगने लगे हर नजारे हसीन

दिखने लगे रंगों की महफ़िल

कुछ इस तरह रंग डारो

पलके खुले तो सप्तरंगी घटा नजर आवे

चहु ओर रंगों की बरसा नजर आवे

कुछ इस तरह रंग डारो

मैं तेरे रंगों में रंग जाऊ

तेरे प्यार के रंगों में खो जाऊ

कुछ इस तरह रंग डारो

कोई ओर ना रंग मोहे अच्छा लागे

तेरे प्यार भरे रंगों के आगे हर रंग फीका लागे

रंग डारो रंग डारो

अपने प्यार की कुच्ची से रंग भर डारो

रंग डारो रंग डारो

मेरे दिल को भी रंग डारो

स्वीकार

ओ दिले जाना पेशे खिदमत है दिले नजराना

तेरी कातिल अदाओ ने है दिल को मारा

तेरी भोली सूरत पे है दिल ये आया

ओ जानेजा ओ जानेजा पेशे अब ओर क्या करू

कैसे हाले दिल ये वयां करू

दिल से हसीन अनमोल कुछ ओर नहीं

मेरा तुम ऐतबार करो

प्यार मेरा स्वीकार करो

ओ जानेजा ओ जानेजा

विश्वास का खून

कत्ल तुने प्यार का कर दिया

दिल हमारा लहुलुहान कर दिया

बीच भंवर में हमको दरकिनार कर दिया

डूबने के लिए हमें लहरों के साथ छोड़ दिया

किनारा भी नसीब ना हो

इसलिए विश्वास का खून कर दिया

आग

रुसवाई की आग उन्होंने ऐसी लगाई

हमें ख़बर भी ना हो पाई

ओर आशियाना दिल का जल उठा

बेबस पथरीली आँखों से आसमा निहारते रहे

पल भर में ही दिल जलकर राख हो गया

बंजारे

बंजारे हम बंजारे

भटके फिरे गली गली

आज यहाँ कल वहां

सीधे सादे हम बंजारे

प्यार की भाषा हम जाने

चाहो जो हमें अपनाना

तो पहले है कबीले को अपनाना

चाहे जो भी हो जावे

टूटने न दे कबीले की मर्यादा

बंजारे हम बंजारे

राम

भटकता रहा चहु ओर

शान्ति मिली ना किसी ओर

ज्ञान हुवा तब

मात पिता का करो ध्यान

इनके ही श्री चरणों में विराजे चारो धाम

इनकी सेवा से अमन मिले

इनके आर्शीवाद से ही राम मिले

Thursday, October 29, 2009

अस्मत

लुट गई अस्मत बिक गया शरीर

जिस्म की मंडी में

फिर उत्तर गई एक अबला की तस्वीर

नरक के दलदल में

फंस गई एक ओर मजबूर जिंदगानी

पर कटे परिंदे सी तडपड़ाये

पर सौदागरों के चंगुल से निकल ना पाये

गुजर जिन्दगी ऐसे ही जानी है

किसी के तन तो किसी की दौलत की हवास मिटानी है

इस काल कोठरी के दायरे में ही दुनिया सिमट जानी है

सुंदर नयन

एक तो नयन कमाल

ऊपर से सुरमे का कमाल

काली काली आँखों की अदा हज़ार

कजरारे नयनो की बतिया बेमिसाल

दिल चाहे इन्हे निहारे बार बार

पर ये ना छोडे नखरो का साथ

सुंदर नयनो की दांस्ता बेमिसाल

इन पे मर मिटने के किस्से हज़ार

आगमन

सूर्य उदय हो आया

पूरब में लालिमा निखर आई

पंछियो ने शोर मचाया

जागो भोर हो आई

खिली खिली धुप से

जीवन अंकुरित हो चला

नई सुबह के आगमन को

मन आह्लादित हो चला

चेतना

बिन कुरीतियों का चक्रभ्यु तोड़े

सामाजिक उत्थान कैसे हो

सदियों पुरानी परम्परा को तोड़े बैगर

कैसे समाज सफल हो

करनी होगी पहल

थमानी होगी रोशनी की मशाल

नये समाज गठन के लिए

करना होगा नई चेतना का संचार

असफल

किस्मत दगा दे जाती है

पास आई मंजिल भी छुट जाती है

ना जाने तक़दीर ने क्या खेल रचा है

कामयाबी द्वारे आकर लोट जाती है

रोना भाग्य पे आता है

हर प्रयास असफल हो जाता है

जन्मो का बंधन

कैसा ये अपनापन है

कैसी ये दिल्लगी है

पाने को तुझे दिल ये मचले

कैसी प्यारी ये कशीश है

हर डोर मुझे तेरी ओर खींचे

कैसी ये लगी है

कितना हसीन ये रिश्ता है

कैसी ये चाहत है

जन्म जन्मो का बंधन हो

ऐसा ये नाता है

Wednesday, October 28, 2009

नसीब

काश ऐसा होता

तू तस्वीर से निकल सामने आ जाती

तड़पती रूह को चैन आ जाती

मोहिनी सूरत तेरी

इन्द्र घटा बन जाती

भटकते दिल को राहत मिल जाती

किस्मत कहो या नसीब

तू मुझको मिल जाती

हँसि खुशी

कुछ पल हँसि खुशी के हो

हँसने हँसाने के हो

हँसते हँसते लोट पोट हो जाने के हो

ख़ुद पे हँसने औरो को हँसाने के हो

अपने आप से दिल्लगी लगाने के हो

कुछ पल हँसि खुशी के हो

स्पर्श

जब कभी मन हो उद्दास

तो याद मुझे करना तुम

जब कभी मेरी याद सतावे

चाँद में मेरा अक्स निहारना तुम

जब कभी आए मेरा ख्याल

हवाओ में मेरा स्पर्श अनुभव करना तुम

जब कभी करनी हो दिल की बात

हौले से आवाज़ लगना मुझे तुम

पास मुझे अपने पाना तुम

दिल का दरवाजा

ओ सनम हर जन्म दिल का दरवाज़ा खुला रखना

जब भी याद सताए मेरी दौडी चली आया करना

जब कभी मन हो उद्दास

हमें तुम याद करना

यादो को दिल में छिपाए रखना

लबों पे मेरे गीत सजाये रखना

हर जन्म दिल का दरवाजा खुला रखना

Monday, October 26, 2009

नजराना

एक ताजमहल मैं भी बनवाऊ

प्यार की इबादत उसमे खुद्वाऊ

मोह्बत की ये निशानी

नजराने में तुझे भेंट करू

महकता रहे अपना प्यार

खिलते रहे प्यार के गुलाब

दुआ रब से ये ही करू

मरके भी जो है साथ निभाना

तेरी कब्र के बगल में मेरी कब्र बनवाऊ

एक ताजमहल में भी बनवाऊ

राधा मोहन

ओ मेरे प्यारे मोहन

ओ मेरे राधा मोहन

प्रीत तुने ऐसी सिखलायी

हर दिलो में प्यार की ज्योत जलाई

सुन के तेरी अनुराग

कर सका ना कोई इनकार

झूम रहे नर और नारी

सुन के तेरी मधुर तान

थाम लिया तुने प्रेम का दामन

राधा रानी के साथ

लुटा दिया प्रेम अनुराग

बाँध लिया प्यार की डोरी से

राधा रानी का हाथ

दिखा दिया जग को

प्रेम ही है सच्ची राह

दे दिया जीने का मूलमंत्र

प्यार में ही बसे जीवन सार

ओ मेरे प्यारे मोहन

ओ मेरे राधा मोहन

गूंज

जब भी आए मेरी याद

दिल से पुकारना मेरा नाम

हर ओर गूंजेगी मेरी ही आवाज़

सुनाई देगा मेरा ही नाम

ये है प्यार का कमाल

सच्चे प्यार की पहचान

दिल से दिल की बात

अब ना कहना मैं नही तुम्हारे साथ

करदो अब प्यार का ऐलान

बतला दो इस जहाँ को

एक दूजे पे मर मिटने को हम है त्यार

लगी

लगी ऐसी लगी

लहू बन नश नश में समा गई

नूर बन आँखों में समा गई

धड़कन बन दिल में समा गई

आँखों से उतर दिल में समा गई

हम में तुम समा गई

Sunday, October 25, 2009

गीत पुराना

गीत पुराना है साज़ नया है

फिर भी तुमको सुनना है

हर जनम तेरे साथ निभाना है

प्यार के मीठे बोलो से

जिन्दगी का सुर सजाना है

इस कशीश को जीने की

सरगम बनाना है

गीत पुराना है साज़ नया है

फिर भी तुमको सुनना है

अमृत धारा

जब धरती मिले अम्बर से

अम्बर बरसे बन के बादल

बादल लेके आए पानी की फुहार

पानी मिले सागर में जाए

सृष्टि के कण कण में

अमृत की धारा बन जाए

प्रतिभा

कलाकार की कल्पना

रचनाकार की रचना

मोहताज नही कद्रदानों की

अनुभूति प्रेरणा बन कृति बन जाए

विचार धाराए नई करवटे लेने लगे

मंथन हो कला साकार हो निखारने लगे

कसर ना कोई रह जाए

कोशीस अगर यही हो तो

प्रतिभा असर हर ओर नजर आए

सच्ची कहानी

ये मेरे यार सुन के दास्ता मेरी

हो ना जाए आँखे नम तेरी

दर्द भरी ये कहानी है

प्रेम की आगोश में लिपटी ये जिंदगानी है

रूठे यार को मनाने की सच्ची ये कहानी है

दास्ता ये अजब प्रेम की गजब कहानी है

मिलने से पहले बिछड़ जाने की कहानी है

तन से रूह जुदा हो जाने की कहानी है

मेरे यार सच्ची ये कहानी है

मुकर्र

हँसते रहो हँसाते रहो

खिलते रहो खिलखिलाते रहो

क्योकि इस पल है जिंदगानी

उस पल का ठिकाना नही

कुदरत ने बुलाने की लिए

कब का वक्त मुकर्र किया

कोई ये जाने नही

Friday, October 23, 2009

सजा

यू लगता है मैं थक गया

जिन्दगी से हार गया

औरो को प्रोत्साहित करनेवाला

आज ख़ुद हतोसाहित हो गया

समझ ना आवे किस राह चलू

जीने की तम्मना करू

या मौत की दुआ करू

भाग्य लिखा टल नही सकता

नियति बदल नही सकती

रब अब तेरा ध्यान करू

सजा यही अपनी पूर्ण करू

जीवन की पहचान

जिसने है मात पिता का स्नेह पाया

उसने है सबसे अनमोल आर्शीवाद पाया

मात पिता के स्नेह आगे

हीरे पन्ने की चमक है फीकी

जिनके आगे स्वयं शीश झुकावे परमदेव

उनसे बड़कर दूजा ना कोई ओर

जिसने है इस राज को जाना

उसने है जीवन को पहचाना

समाज का सृजन

समुद्र मंथन से जैसे हलाहल निकला

आओ वैसे ही हम समाज का मंथन करे

पुरानी कुरीति बेडिया ध्वंस करे

एक नए सुंदर समाज का सृजन करे

भगवान शंकर ने भी विष पान कर

देवतों को अमृत पान प्रदान किया

आओ हम भोले नाथ की राह चले

सामाजिक कुप्रथाओ का नाश करे

आने वाली पीडी के लिए

नए सभ्य समाज का सृजन करे

अनजानी राह

जाम छलकाते रहे रात भर

गमों में डूबे रहे दिन भर

पर दुखो को ना भुला पाये

जितना भुलाना चाहा

उतने घाव हरे होते गए

लगने लगा साकी ने भी नाता तोड़ लिया

जीने की ललक भी अब ओर ना रही

परेशानी में जाम को होटों से लगा लिया

ओर लडखडाते कदमो से अनजानी राह को निकल पड़े

Thursday, October 22, 2009

अजब प्रेम कहानी

तेरे इश्क में मैं देवदास बन ना पाया

तू जो अगर मुमताज बन जाती

मैं ताजमहल बनवा ना पाता

नाकाम इश्क की ये सची दांस्ता

लोगो की जुबा चढ़ ना पाती

अगर अपनी प्रेम कहानी

औरो से जुदा ना कहलाती

जुदाई का गम

दिल मे ये दर्द छुपा रखा है

तेरी जुदाई का गम छुपा रखा है

तेरी यादो को सीने से लगा रखा है

तेरे प्यार में ख़ुद को भुला रखा है

दिल मे ये दर्द छुपा रखा है

तेरी जुदाई का गम छुपा रखा है

बीते लहमो को जीने का सहारा बना रखा है

तेरे इश्क को दवा बना रखा है

दिल मे ये दर्द छुपा रखा है

तेरी जुदाई का गम छुपा रखा है

दिव्य दृष्टि

तेरे आगमन से मन गृह खिल उठा

दिल का आँगन जगमगा उठा

अंधेरे को चीर प्यार की रोशनी लिए

निर्मल पावन कांति मृदुल उज्वल

प्रभा घटा चली आई

दृष्टि प्रेम की दिव्य आभा से झिलमिला उठी

तुम जो आए तो दिवाली चली आई

तन्हा तन्हा

तन्हा तन्हा जिन्दगी कटे नही

काटे वक्त कटे नही

ख़ुद से बेगाना हो फिरू

आस की डोर थामे थमे नही

चित भटके किसी बेगानी चाह को

तलबगार कोई मिले नही

मिलने मिले हजारो

पर हमसफ़र सा कोई नही

तन्हा तन्हा वक्त कटे नही

यकीन

उम्मीद की लो जला रखी है

वक्त आएगा

हमें भी गले लगा जाएगा

मंजिल हमें भी नसीब होगी

हर तम्मना पूरी होगी

रूठी किस्मत बदलेगी

तक़दीर एक दिन हमारी भी चमकेगी

विश्वास अभी है बरक़रार

ख़ुद पे हमें है पूरा यकीन

मिथ्या

मिथ्या कुछ है नही

पर सच भी तो कुछ नही

अलग अलग राग

अलग अलग अनुराग

कही रुंदन भरी शाम तो

कही मुस्कराहट लिए प्रभात

गुजर जाती है जिंदगानी

रह जाती है बात

समझ आती नही ये बात

कुदरत की पहेली का

हल नही किसीके पास

कुछ कुछ मिथ्या

कुछ कुछ सत्या

यही है जीवन सार

साज नया

गीत नया गायेंगे

साज नया बनायगे

संगीत बन लबों पे चले आयेंगे

काजल बन आँखों में बस जायेंगे

मेहदी बन हाथो में रच जायेंगे

तू कर ले लाख इनकार

फिर भी तुझ को उठा ले जायेंगे

पुष्पांजलि

कहने को नही आप हमारे साथ

पर दिलो में बसता है आप का प्यार

पंचतत्वों से बने शरीर

पर आप के हम पंच प्यारे

मिलके बने आप के जीवन गीत

साज बिना संगीत अधुरा

बिन पिता जीवन अधुरा

फिर भी है एक आस

पुनः मिलेगा आप का साथ

पुष्पांजलि अर्पण कर रहे

आप के श्री चरणों में हम बच्चे नादान

करलो आप स्वीकार

धरदो हम बच्चो के सर पर

अपना प्यार भरा हाथ

शिक्षा

अन्धकार में एक दीपक जलाया

प्रकाश से तम को दूर भगाया

विचार ऐ मन में आया

बदलाव की हवा साथ लाया

क्यो ना बदल जाए जग सारा

कोई ना रह पाए अनपड़ गवारा

शिक्षा ज्योति जलती रहे

खुशियाँ हर घर बरसती रहे

आओ एक एक दीपक हम तुम भी जलाये

अज्ञान पर ज्ञान की विजय पताका फहराए

प्यार हमें

दिल ने कहा हमने कोरे कागज पे लिखा

कुछ होने लगा दिल आप के ख्यालो में खोने लगा

प्यार हमें होने लगा दिल आप का होने लगा

Tuesday, October 20, 2009

मौत

सत्य ही तो है

मौत अटल सत्य है

यादे रह जाती है उनकी सिर्फ़

कर्म जिनके हो अच्छे

रह जाते है कदमो के निशा

प्रेरणा बन नई रह दिखलाने को

इसीलिए छोड़ मोह माया का पाश

धरो ईश्वर का ध्यान

हो जायेगी बेतरनी पार

पहुँच जावोगे वेकुन्ट धाम

Sunday, October 18, 2009

अजनबी

जब से तुने है छुआ

मेरे दिल के तारो को

खोया खोया सा रहता हु

ख़ुद से अंजना सा रहता हु

ओ अजनबी ओ अजनबी

कैसा जादू है तुने किया

मैं ख़ुद से बेगाना रहता हु

खोया खोया सा रहता हु

तेरी यादो में तेरी पनाहों में

भुला दिया भुला दिया

ख़ुद को तेरी चाहत में

ओ अजनबी ओ अजनबी

जब से तुने है छुआ

प्यार मुझको है हो गया

ओ अजनबी ओ अजनबी

इतिहास

किस्मत ऐसी हमारी कहाँ

कोई हमें भी याद रखे

भुला आपने ऐसे दिया

जैसे इतिहास में यादो

को दफना दिया

दिल्लगी

गैरों में अपनों को तलाशा

इसलिए दोस्त कह तुम्हे पुकारा

जो बुरा लगा हो तो बात ना करना

ये तो सिर्फ़ दिल्लगी थी

दिल दुखाने की तमना ना थी

रुसवाई

जहर तुने जो पिलाया

अमृत समझ पी लिया

अब तमना जीने की ओर ना रही

कत्ल वफा का तू ने जो कर दिया

रुसवाई के सिवा कुछ ओर ना दिया

हमें ही बेवफा बना छोड़ दिया

तक़दीर

खुश किस्मत होते है वो

बिन मांगे जिन्हें मिले प्यार की सोगात

चंदा सूरज चले इनके साथ

नभ भी झुक कर इन्हे करे प्रणाम

तक़दीर इनकी इतलाये देख ग्रह नक्षत्रो की चाल

जीवन इनका गुजरे प्यार भरी ठंडी छाव

मरके भी ये रोशन करे जहाँ

बन के सितारा झिलमिल करे उनके साथ

है ये किस्मत की बात

उदास ना होवो मेरे यार

क्या पता तुम ही हो वो खुशनसीब इंसान

Saturday, October 17, 2009

खुशनसीब है हम

चाचा खुशनसीब है हम

जो आप को पिता रूप में पाया

पुण्ये है कोई किया

जो आप के अंगने जनम लिए

गुरुर है अपनी किस्मत पे

आप का अंश कहलाये

स्वाभिमानी आप ने बनाया

स्वालंबी होना हमें सिखलाया

कर्तव्य बोध हमको कराया

प्यार का सबक हमको पढाया

जीवन जीना आप ने सिखलाया

निर्वाण का महत्व हमको समझाया

अब बस दुआ है इतनी सी

आगे भी आप हमारा आप रखो ध्यान

हर जनम बना रहे अपना साथ

Friday, October 16, 2009

दीपावली

दीपावली की इस शुभ बेला रब से दुआ है हमारी

पर्व ये आप के लिए मंगलमय हो

जीवन सदा सुखमय हो

धन धान्य से भरे भंडार हो

दीपावली की तरह रोशन आप का भी जहाँ हो

Wednesday, October 14, 2009

एक चिठ्ठी पिता के नाम

ओ चाचा थे आओ ना

था बिन घर सुनो सुनो लाग है

बिन थार दिवाली फीकी नजर आव है

चाचा थे सुन लो आज माहरी मनुहार

थारा टाबर जोह थारी बाट

अब ना करो थे निराश

सगळा थान कर बहुत याद

माँ खड़ी द्वारे कर रही थारो इन्तजार

हर बाताम थारो ही नाम

था बिन नही म्हारा जीवन को सार

अब तो ना रूठो थे आज

जिद माहरी भी है आज

आनो पडसी थान इस दिवाली माहरा पास

मान्नो पडसी या छोटी सी बात

आ कर निभानो पडसी वादों जो कियो आप

इस दिवाली आनो पडसी

चाचा सुन माहरी मनुहार

Tuesday, October 13, 2009

चिठ्ठी रब के नाम

ऐ मेरे रबा मेरी फरियाद सुन लेना

इस दिवाली मेरे पिता को भेज देना

हमारे दिलो के बुझे दीयो को रोशन कर देना

पल दो पल का ही सही माँ को उनका साथ मिले

हम बच्चो को उनका आर्शीवाद मिले

ऐ प्रार्थना स्वीकार कर लेना

पाती ऐ आस भरी

पिता को पढ़ सुना देना

उनकी यादो के दीपक सजाये है

उनके आगमन को तोरण द्वार सजाये है

ऐ उनको बतला देना

ऐ मेरे रबा मेरी फरियाद सुन लेना

इस दिवाली मेरे पिता को भेज देना

दिवाली

आओ इस दिवाली एक नए युग का सूत्रपात करे

दिल से दिल मिलाते चले

प्यार की लड़ी जोड़ते चले

माला खुशिया भरे दीपो की पिरोते चले

हर आगाज में प्यार का संदेश बरसाते चले

आओ इस दिवाली एक नए युग का सूत्रपात करे

एक नई परम्परा

रोशनी के इस पावन पर्व पर

आओ एक नई परम्परा की शुरुआत करे

हर घर खुशियों से रोशन हो

एसे सुनहरे भविष्य की रचना करे

अंधरे में भी सितारा बन चमके

एसे नीव की आधारशिला रखे

रोशनी के इस पावन पर्व पर

आओ एक नई परम्परा की शुरुआत करे

रोशन जहाँ एसा हो सूरज भी शरमा जाए

दिवाली की उज्जवल किरणों के आगे

सूरज की रोशनी भी फीकी नजर आवे

रोशनी के इस पावन पर्व पर

आओ एक नई परम्परा की शुरुआत करे

चाचा दीपावली बिन आप के

चाचा दीपावली बिन आप के ना रोशन होगी

ना कोई खुशिया होगी

ना कोई उमंग होगी

हमारे दिलो मेंआप के यादो

के दीयोकी रोशनी होगी

आप के आर्शीवाद से जीवन रोशन रहे सदा

आप हमारे प्रेरणा स्त्रोत रहे सदा

इस दिवाली बस यही कामना होगी

अनुभूति

दिल ऐ कह रहा है

मन ऐ तड़प रहा है

तेरे आलिंगन में कोन सा जादू है

तेरी अनुभूति का अहसास तेरे

जाने के बाद भी हो रहा है

तेरे बिना ये दिल अब चहक नही रहा है

मन महक नही रहा है

ये मेरे दिल को क्या हो रहा है

तेरी यादो में डूबा जा रहा है

जिया जाए ना

तुम से मिलने जी तरसे

यू लगे सदिया बीती

प्रियतम तुम को जी भर देखे

कंचन सी तेरी काया

फूलो सी तेरी मुस्कान

दिल को देवे सुकून हजार

दिल कहे हर जनम

तेरी आगोस में लिपटा रहू

तेरे प्यार भरे आँचल में सिमटा रहू

दूरी अब सही ना जाए

तुम बिन अब जिया ना जाए

सिंदूर

कैसा वो पल होगा

मेरे हाथो में तेरा तेरा हाथ होगा

हर कदम साथ साथ होगा

लबों पे सिर्फ़ एक दूजे का नाम होगा

मेरे नाम का सिंदूर तेरी मांग में होगा

नफासत

ये दुनिया एक हसीन सपना है

जी भर जीना चाहिए

खाब टूटे इससे पहले

तम्मना पुरी कर लेनी चाहिए

खाब में सचाई का अक्स नजर आना चाहिए

तभी तो कहते है

नफासत के साथ जीना चाहिए

जीने का बहाना

तेरी बाहों का जो सहारा मिला

जीवन को किनारा मिला

तेरी जुल्फों की घटा में ख़ुद को भुला दिया

झील सी सुनहरी आँखों में ख़ुद को डूबा दिया

तेरी आगोस में समां दुनिया को भुला दिया

तेरे प्यार में ख़ुद को पा लिया

तेरा जो सहारा मिला

जीने का बहाना मिला

कुदरत का लिखा

कुदरत ने रचा खेल निराला

विश्वास की डोर हो गई कमजोर

जीवन पतंग हो गई बे डोर

उम्मीदों के आसमा को

छूने से पहले कट गई डोर

फटी पतंग देख रोना आया

दिल को बहुत समझाया

अपनी फटी किस्मत पे यकीन ना आया

कुदरत का लिखा मिट ना पाया

आंसुओ के दरिया में हमको बहा ले गया

Monday, October 12, 2009

क्यो आए

क्यो आए तुम चले जाने को

मझे रुला जाने को

गम ऐ ना था तुम क्यो मिले

अफ़सोस इस बात का था

क्यो जिन्दगी के इस मुकाम पे मिले

समझ आए नही रोऊ या हसू

हाथ तुम भी थामे रख नही सकती

अपने अरमानो का गला घोट नही सकती

छोड़ इसलिए मुझको तुम चल दी

सौदागर

ओ सपनो के सौदागर , सौदागर

सपने जो तुने दिखलाये उनको है जीना

सपनो की दुनिया में ही हो अपना बसेरा

सुंदर सपने के आगे दिल कुछ ओर ना चाहे

सपने जो मिलके देखे

खाब इतना सा है वो सच हो जाए

इस जनम ऐ हसीन सपना टूट ना पाए

मुझको भी ले चल अपने सपनो की दुनिया में

ओ सौदागर सपनो के सौदागर

रंग

तेरी जुस्तजू ऐसी लगी

तेरे रंग में रंग गया

लगन ऐसी लगी

मैं तेरा दीवाना हो गया

तू दिल है मैं धड़कन

बिन एक दूजे कुछ नही

हर साँसों में तेरा ही नाम है

बिन तेरे जीना दुस्वार है

ऐ प्यारा सा खाब है

एक मीठी सी खुमार है

सृजन

एक नई धारा का सृजन हो रहा है

प्राचीन और नव युग का अद्भुत संगम हो रहा है

आधुनिकता के इस युग में

नई कलात्मक कृतियों का उदय हो रहा है

एक नए संसार का शुत्रधार हो रहा है

नए भविष्य की कल्पना का सपना साकार हो रहा है

एक नई धारा का सृजन हो रहा है

जिया

तुने दिल पे दस्तक जो दी

जिया तेरे बिना अब लागे नही

एक एक लहमा लगने लगा एक सदी समान

जिस्मो जा में तेरी ही खुशबू महकी

हर साँसों में तेरी ही जुस्तजू फेली

जूनून तेरा ही जूनून

तेरी चाहत का जूनून

साँझ सबेरे

साँझ सबेरे मिलने आना

बहाना ना कोई बनाना

मिलके बुनेगे एक नया सपना

प्यारा सा हो घर एक अपना

प्यार से रोशन रहे आँगन अपना

खुशियों से महकी रहे अपनी बगिया

जो सच करना हो सपना

हाथ पकड़ना तुम ना भूलना

साँझ सबेरे मिलने आना
बहाना ना कोई बनाना

जुदा

मैं ख़ुद में खोया रहा

चाहा बहुत खालीपन तोड़ डालु

मुश्किल घड़ी पर खतम ना होती

अकेले रह गया

साथ सब का छुट गया

जाने विधाता ने किस्मत में क्या लिखा

क्यो सब को मुझ से जुदा कर दिया

संग सब का होते हुवे भी

तन्हा मुझ को बना दिया

लगने लगा खुदा को मेरे से ज्यादा लगाव है

इसलिए किसी ओर का नाता मुझ से जुड़ने ना दिया

फुरसत

सोचा फुरसत निकालू कुछ पल

जिन्दगी संग बिताऊ कुछ पल

करीब से पहचानू , अपने को तलाशु

वक्त ना मिला , जिन्दगी से कहा

एक रोज मेरे पास भी आना

लेखा जोका साथ लाना

अभी के लिए माफ़ करना

पूरण अभी काम बाकी

अभी नही आई फुरसत की बारी

जिन्दगी मेरा सलाम स्वीकार करना

उड़ चलू

मन ये कहे उड़ चलू उड़ चलू

गगन गगन फिरता चलू

चहक चहक नीले अम्बर को छूता चलू

आजाद परिंदे सा डाली डाली छूता चलू

उड़ चलू उड़ चलू

खुशियों के पर लगा उड़ता चलू

कभी पर्वतो को कभी नदियों को छूता चलू

सुन के दिल की पुकार

हो के अरमानो के उड़न खटोले में सवार

उड़ चलू उड़ चलू

सुन के मन की बात दिल कहे ये बार बार

उड़ चलू उड़ चलू , उड़ चलू उड़ चलू

Saturday, October 10, 2009

गागर में सागर

गागर में सागर समां गयो रे

टुमक टुमक चाल पे दिल आ गयो रे

बन के मनमीत दिल में समां गयो रे

बदरी में चाँद छिपा गयो रे

घूँघट में मुख्डो नजर आ गयो रे

देख के आँखों में नूर आ गयो रे

दिल में दिल समां गयो रे

नस नस में प्यार भरा गयो रे

गागर में सागर समां गयो रे

अंगारे

जलते अंगारों पे लेट गयी

पिया तेरी खातिर ज़माने के सितम सह गयी

फिर तेरी जिंदगानी में लोट ना पायी

तुने यारी अच्छी निभाई

एक बार भी हमको आवाज़ ना दी

तेरी रुसवाई पे आंसू बहाते रहे

पर बेवफा तुने पलट के भी ना देखा

ज़माने की ठोकर खाने हमें छोड़ दिया

तड़पने के लिए अकेला छोड़ दिया

Wednesday, October 7, 2009

धूम धड़का

धूम धड़का होने दो

खेल अजब गजब चलने दो

मारो ताली पीटो ढोल

प्यार की बारिस होने दो

खिले फूल छुटे फुल्झडिया

मुस्कान रोनक भरी आने दो

बज रही शहनाई

दुल्हन को घर आने दो

चक्रभ्यु

जिन्दगी के चक्रभ्यु में ऐसे फंसे

ख़ुद से ख़ुद को रूबरू ना करा पाए

वक्त पंख लगा उड़ता चला गया

यादो को समेट भी ना पाए

जिस जिन्दगी की तलाश में भटके

उसे अपने में तलाश भी ना पाए

जिन्दगी के असली दर्पण को समझ ना पाए

अपने ही अक्स को पहचान ना पाए

इस चक्रभ्यु को समझ ना पाए

जी के भी जी ना पाए

Saturday, September 26, 2009

पहचान

रंगत है गुलाल की

खुशबू है गुलाब की

धडके जो दिल में

पहचान है प्यार की

चाँदनी है चाँद की

मादकता है शराब की

तस्बीर जिनकी नजरो में

पहचान है आशिके गुलाम की

श्याम रंग

मैं तो खेलू होली मेरे सावरिया गिरधारी के संग

नाचू खूब उडाऊ गुलाल मुरली मधुर की बांसुरी तान पे

श्याम वरन रंग जाऊ अपने नटवर के साथ

मोहे भाये ना कोई दूजा रंग प्यारा लागे श्याम रंग

मैं तो खेलू होली मेरे माखन चोर के संग

रिश्ता

रिश्ता प्यार भरा हो

जिसमे अपनापन हो

फूलो की तरह जो महके

पंछियों की तरह जो चहके

संगीत की जिसमे सरगम हो

नगमो की जिसमे साज हो

ईश्वर की जिसमे आराधना हो

ऐसा रिश्ता मेरा तेरा हो

मुलाकात

करले करले तू एक मुलाकात करले

ना चाहते हुए भी हम से प्यार करले

करले करले तू एक मुलाकात करले

थोडी सी मोहलत हम को तू दे दे

दिल अपना दिखलाने की इज्जाजत दे दे

करले करले तू एक मुलाकात करले

थोडी इज्जाजत हम को भी दे दे

एक बार प्यार करने का मोका हम को भी दे दे

करले करले तू एक मुलाकात करले

प्यार के जहा में खो जाने की इज्जाजत दे दे

प्यार में दुनिया भूल जाने का सबक हम से सीख ले

करले करले तू एक मुलाकात करले

हसीन तोहफा

मैं अपने प्यार को एक हसीन तोहफा दू

ताजमहल से खूबसरत नजराना दू

सात जन्मो तक साथ निभे

ऐसा कुछ खास उपहार दू

सात फेरो के साथ उसे

जीवन अर्धांगी बनाऊ

तम्मना ओर ना रही

अब चाहत ओर ना रही

कुछ पाने की लालसा ओर ना रही

जीने की तम्मना ओर ना रही

दिलो को रुलाने की तम्मना ओर ना रही

बदलते रंगों में जीने की तम्मना ओर ना रही

तन्हा रहने की आदत ओर ना रही

जिन्दगी जीने की तम्मना ओर ना रही

जिन्दगी गुजर गई

हर लहमो के लिए कुछ लिखा

पर अपने लिए कुछ ना लिखा

वक्त ही ना मिला

कब लहमा गुजर गया

पता ही ना चला

तमना अधूरी रह गई

ओर जिन्दगी गुजर गई

लगाव

स्नेह स्नेह स्नेह बढा

हम दोनों के बीच प्यार बढा

हौले हौले इकरार बढा

दिलो में एक दूजे के लिए लगाव बढा

आहिस्ते आहिस्ते एतबार बढा

एक दूजे के संग जिन्दगी

जीने का रंग चडा

मोहन की मीरा

नजाकत और सुन्दरता की

खुबसूरत संगम हो तू

शबमी बूंदों में लिपटी

जैसे कोई अप्सरा हो तुम

प्यार का सागर छलकाती

मोहन की मीरा हो तुम

होंसला

हर लहमा तुम्हे याद करते है

जीने के लिए तेरे प्यार की पनहा मांगते है

तेरे प्यार में खुदा से लड़ जाने का जज्बा रखते है

तू जो हां कह दे तो तुझे अपनाने का होंसला रखते है

Friday, September 25, 2009

जय माता दी

हो के सिंह पे सवार

माता आई भक्तो के पास

ओड़ चुनरिया लगा के मेहँदी

थामे हाथ में भाला

पहने गले में माला

माता चली आई भक्तो के पास

गूंज रही हर गली गली

माता की ही जयकार

करके दर्शन भक्तो

करलो पूर्ण अभिलाषा आज

माता आई है अपने भक्तो के पास

जय माता दी

मुश्किल घड़ी

मुश्किल घड़ी पड़ी

याद किया ईश्वर को

संकट जो टला

पल ही दो पल में

भूल गए ईश्वर को

आदत ना बदली

छलना ना छोड़ा ईश्वर को

दो मुहें मानव की नोटंकी के आगे

फिसल जावे ईश्वर हो

मुश्किल घड़ी टलते ही

भूल जावे ईश्वर को

सागर के पास

आ फिर चले बैठे सागर के पास

खो जाए सागर की लहरों में

थामे रहे एक दूजे का हाथ

आ फिर चले बैठे सागर के पास

करे दिल की बात

ना छूटे एक दूजे का साथ

आ फिर चले बैठे सागर के पास

लहरों पे डोलती नैया से सीखे ये बात

मुश्किल घड़ी भी बना रहे अपना साथ

आ फिर चले बैठे सागर के पास

सागर की हलचल से ले ले ऐ अहसास

प्यार की नही कोई पहचान

आ फिर चले बैठे सागर के पास

दिल शायर

दिल आज शायर हो रहा है

परियो के मेले में हुस्न की

शहजादी को को तलाश रहा है

तराने नए गा रहा है

लैला लैला पुकार रहा है

नगमे प्यार भरे सुना रहा है

दिल आज शायर हो रहा है

बेमिशाल कृति

कितनी खुबसूरत ये सृष्टि है

हर पल अलग अलग नजारे है

कही धुप तो कही छाव है

बड़ी सुंदर ये रचना है

कही बसंत तो कही पतझड़ का मेला है

कल्पना से परे ये अजबूझ पहेली है

कुदरत की ये बेमिशाल कृति है

Thursday, September 24, 2009

पितृ ऋण

ये शोभाग्य हमने पाया


आप को पितृ रूप में पाया


प्यार का पाठ आप ने पढाया


उन्नति मार्ग हमको दर्शया


इस पितृ ऋण को कभी ना चुका पायेंगे


वचन जो दिया पूर्ण कर जायेंगे


ये जीवन आप के चरणों में


समर्पण कर जायेंगे


गर्व के संग आप का अंश कहलायेंगे


नाम आप का अमर कर जायेंगे


पितृ स्नेह की कथा


भविष्य को अर्पण कर जायेंगे


अधूरी महफ़िल

हुस्न की महफ़िल में तुम्हारी कमी थी

काँटो के बीच गुलाब की कमी थी

सूरज के साथ चाँद की कमी थी

रंगों की भीड़ में रोनक की कमी थी

अजनबियों के बीच अपनों की कमी थी

एक तुम्हारे बैगर हर महफ़िल अधूरी थी

तू ही तू

पलके खुले तेरा चाँद सा चेहरा नजर आए

मुख खुले तो तेरा ही नाम लबों पे आए

जब सुने तो तेरी ही मधुर तान सुने दे

हर दिन हर पल हर जगह

बस तू ही तू नजर आवे