Monday, November 16, 2020

लम्हें

लम्हें कुछ खुद से चुरा लाया l
कुछ ख़ुदा से उधार ले आया ll

तुम मिलोगे लम्हों के जिस पल को l 
उस पल को जिंदगी की सौग़ात दे आया ll 

बेचैन हो रही उम्रदराज लम्हें l
निशा ठिठोली कर रही अधेड़ लम्हें ll 

कसूर चमकती राहों में ठहरे पलकों का था वैसे l  
लुभा आँख मिचौली खेल रही पलकों का था जैसे ll 

नज़र अंदाज़ ना कर पाया उन बीते लम्हों को वैसे l
सुलगा रही चिंगारी अरमानों में नये लम्हों को जैसे ll 

करवटें गुमशुम हो गयी इन लम्हों के झरोखों में जैसे l
सूनी थी सेज़ बिन प्रितम खोये खोये इन लम्हों में जैसे ll 

कर रहा हूँ बेक़रारी से इंतज़ार आनेवालें उन लम्हों का वैसे l 
मिलोगे जब तुम अलविदा कह एकांकी गुजरे लम्हों को जैसे ll 

मिलोगे जब तुम अलविदा कह एकांकी गुजरे लम्हों को जैसे l
मिलोगे जब तुम अलविदा कह एकांकी गुजरे लम्हों को जैसे ll 

Thursday, November 12, 2020

रंग

आयतें बन बरस रही लबों पे तू अल्फ़ाज़ों की तरह l
मिल गयी रुमानियत काफिर को रिवायतों की तरह ll

ज़िक्र तेरा रहा हर इबादत में रूह की तरह l
गूँज रहा कलमा तेरा नूर ए अज़ान की तरह ll

रूहानियत बन बरस रही तू सपनों की ताबीर की तरह l
छू गयी दिल ए कायनात को तू खुदा की तरह ll

रंग समेटे हैं तूने लाखों इंद्रधनुष की तरह l
समेट ले मुझको भी तेरी आगोश में समंदर की तरह ll

रंज हैं उस चाँद से छिपा हैं अब तलक गैरों की तरह l
प्रतिलिपि जिसकी बसी दिल में धड़कनों की तरह ll

प्रतिबिंब छाया तेरी नाच रही बाँसुरी सरगम की तरह l
छा रही ख़ुमारी तेरे इश्क़ की पतझड़ में सावन की तरह ll

उतर आ धरा बन मरुधर मृगतृष्णा की तरह l
मिल जाऊ रच जाऊ तुझ में जीवन तरंगों की तरह ll

मिल जाऊ रच जाऊ तुझ में जीवन तरंगों की तरह l
मिल जाऊ रच जाऊ तुझ में जीवन तरंगों की तरह ll