तू हुनरमंद मैं बेफिक्रे आलम l
चल सौदा अहसासों का करते हैं ll
कुछ अजनबी मोड़ से टकरा रही जिंदगी l
दुरस्त बातों जज्बातों को करते हैं ll
सफ़र जो पीछे छूट गया l
वो काफ़िरानों की बस्ती सी हैं ll
बंजारा सा था बेवकूफ़ यह मन l
पिरो ना पाया रिश्तों के पल ll
ठहरा हुआ मंजर खोया खोया आसमां था l
फीके फीके रंग ढले अस्त हो रहा महताब था ll
प्यासे कंठ और रह नहीं सकता l
अवरुद्ध चाहतों को और कर नहीं सकता ll
उजागर कर दू हर वो बात l
तोड़ दू सारे बंधन सारे जज्बात ll
मिल जाए इस सौदे में जो तेरा साथ l
भर दूँ रंग हर गलियों के अहसास ll