Monday, December 8, 2014

नजर

जिन्दगी को तेरी नजर लग गयी

कुछ ओर नहीं बस तेरी तलब लग गयी

ख्यालों में भी तेरे तसब्बुर ने जगह ले ली

धुँधली थी जो तस्वीर

वो साया बन गयी

मेरी आरज़ू को तेरी नजर लग गयी

महफ़िल की शमा भी जज्बातों को रोक ना पायी

भीड़ भी तन्हाई के आलम को तोड़ नहीं पायी

दिल के इस रिश्ते को तू समझ ना पायी

रुसवाई तेरी नादान दिल को रास ना आयी

ओर चाहत तेरी मेरे दिल का दर्द बन आयी

 मेरी आरज़ू को तेरी नजर लगआयी

जिन्दगी को तेरी नजर लग आयी 

कुछ ओर नहीं बस तेरी तलब लग आयी 

जिन्दगी को तेरी नजर लग आयी