Sunday, March 27, 2011

दिशाएं

ह़र कदम जो उठ रहा है


एक नयी मंजिल की ओर बड़ रहा है


दिशाएं अब अनजानी नहीं


ह़र कदम कारवां नया बन रहा है

कैसे

मेरे दर्द से तुने अगर नाता जोड़ा होता


खुदा तुने इंसा बनाया ना होता


पर तुने तो इंसा बनाये दर्द सहने को


इसीलिए मुझसे नाता कैसे जोड़ा होता

व्यवहार

जिन्दगी ने ह़र निराश कर दिया


जब जरुरत पड़ी


तब अपनों ने भी दरकिनार कर लिया


जिस जैसे अच्छा लगा


उसने वैसा व्यवहार किया


किसीने जिन्दगी का चीरहरण किया


किसीने आबरू का वस्त्रहरण किया


जिन्दगी ने ह़र पल सिर्फ निराश किया

मन ही मन

ज़िक्र जो तेरा चला


वक़्त कुछ पल को


थम सा गया जैसे


शांत धड़कने तेरे हुस्न के चर्चे


चुपचाप सुनती रही


मन ही मन तेरी तस्वीर बनाती रही

स्वांग

तेरे इश्क में जाने कैसे कैसे स्वांग रचाए


तरह तरह के रंग लगाए


तेरी आरजू को फिर भी


मुखोटे में छुपा ना पाये


नकाब सारे नाकाम हो गए


अफ़साने मोहब्बत सरेआम हो गए

दिलकश

तेरी दिलकश अदा दिल को भा गयी


तेरे नए नाम ने ना जाने कितने


दिलों पे छुरियां चला दी


तेरे हुस्न ने पानी में आग लगा दी


तेरी दिलकश अदा दिल को भा गयी

खिदमत

तेरे इश्क में ए इंसान बीमार है


भुला सब कुछ


तेरे हुस्न के नगमे गाने को बेताब है


तू जो हां कह दे तो


तेरी खिदमत को ए गुलाम त्यार है

Wednesday, March 16, 2011

गुजरा ज़माना

इश्क अपना गुजरे ज़माने की बात हो गयी

सदिया गुजर गयी

पर कशीश की महक

दिल की वादियाँ खिला गयी

सोयी यादों को फिर से जगा गयी

बृज

ओ हो रंग गयो बृज होली के रंग में

आ गयी राधा खेलन होली किशन के संग में

मारी भर भर पिचकारी राधा के अंग पे

रंग गयी राधा श्याम रंग में

झूमे गोपिया नाचे मोरिये

उड़ा गुलाल अबीर राधा नाचे किशन के संग में

ओ हो रंग गयो बृज होली के रंग में

दुआए

खुदा हम नहीं

पर चाहतों की सौगात लाये है

स्वस्थ रहे सभी

दुआए ऐसी साथ लाये है

शोले

मौजो की मस्ती से

साहिल के किनारे टूट जाते है

अश्को के सैलाब में

सारे गुम घुल जाते है

आंधी की मस्ती में

चमन के चमन उजड़ जाते है

प्यार के वयार में

नफरत के शोले दब जाते है

फागुन

रंगों की बाहर आयी

होली की मस्ती छाई

फागुन की रंगीन वयार में

मस्त हो गयी दुनिया सारी

रंग बिरंगो से रंग गयी

धरती आकाश सारी

उड़ते गुलाल बजते चंग की धमाल में

मद मस्त हो रंग गयी दुनिया सारी

अनमोल आंसू

आंसू बड़े अनमोल है

इन्हें यूँ ना जाया किया करो

ज़माने ने कब इनकी क़द्र जानी

वक़्त बेवक्त रो इनपे यूँ ना सितम ढाया करो

Friday, March 4, 2011

मीठी नींद

ओ निंदिया रानी बाहों में भर

मीठी नींद सुला दे

सपनों की दुनिया की सैर करा दे

माँ की वो लोरी

प्यारी थाप याद दिला दे

अंगडाई ले करवट बदलते तन की

थकान मिटा दे

भुला दुनिया सारी

एक मीठी नींद सुला दे

ओ निंदिया रानी

बाहों में भर मीठी नींद सुला दे

निंदिया

बोझिल तन करवटे बदले

पर निंदिया रानी पास ना फटके

अधखुली आँखे सोने को तरसे

पर निंदिया रानी पास ना फटके

सोने में खोने को आतुर रातें

पर निंदिया रानी पास ना फटके

गुजर गयी रात सारी

पर निंदिया रानी पास ना फटकी

विवशता

पूछता हु कई बार मैं खुदा से

आती जब मेरी बारी

लाचार क्यों हो जाते हो तुम तब

विवशता ऐसी भी क्या बन बन आती है

फ़रियाद मेरी तुमको सुनाई भी नहीं आती है

तिरंगे की शान

गुंजायमान हो धरती आकाश

विजय ध्वनि शंखनाद के संग

रहे ना कोई अनपढ़ गंवार

अलख परिवर्तन की जगे

मिले सबको शिक्षा का अधिकार

बने एक सभ्य समाज

हो देश को जिसपे नाज

विश्व शिखर पे लहराए

तिरंगे की शान

आलिंगन

गुजरते पलों के साथ

धूमिल होने लगा आशा का संचार

पर यकीन की लो अभी भी है बरकरार

उम्मीद की शमा बुझने से पहले

फ़रियाद मेरी भी होगी स्वीकार

खुशियों की किरणे बाहं फैलाए

आलिंगन करेगी मेरे विश्वास को आए

प्रबल अभिलाषा

अरमान आसमां छूने को है बेताब

ह़र कदम कामयाबी के

शिखर को चूमने है बेकरार

अध्याय जुड़े नया

प्रबल अभिलाषा ऐसी है खास

करने इस सुन्दर सपने को साकार

मह्त्वाकांछा के रथ पे हो सवार

फ़तेह अर्जित करनी है आज

वरदान

साया आप का नहीं आज साथ

पर दिल में है विधमान

आज भी आप ही की याद

हम चिरागों के दीये रोशन रहे सदा

आप की अनमोल यादों की परछाइयों के साथ

जन्म जन्मान्तर ऐसे ही बना रहे अपना साथ

देना आप ऐसा वरदान

किनारा

किनारा तुम से कर नहीं सकते

अहसास तुम्हारा भुला नहीं सकते

तुम मानो या ना मानो

सपने में भी हम

तुमसे इश्क लगाना छोड़ नहीं सकते

हिंसा

मचा हिंसा का तांडव ऐसा

धधक उठा नफरत का दावानल

किया हैवानियत ने ऐसा शर्मशार

पल में फैलया दिया अमावास का अँधियारा

ह़र ओर पसर गया मौत का सन्नाटा

हुडदंग शोरशराबे में

खो गयी मानव चीत्कार कहीं

मासूमो के खून से

रंग गयी देश की आन बान सभी

खत्म हो गया सब

बदल गयी पहचान