इस ईद बस एक फरियाद हैं मेरी
खुदा नज़रें इनयाते कर दे थोड़ी
चाँद नज़र आ जाए मेरी भी सर जमीं
नमाज़ ईद की अदा कर दूँ उसकी सर जमीं
अज़ान बन गूँज उठे हर इबादत मेरी
निहारु जब आसमां दुआ कबूल हो मेरी
रस्म निभाऊ गले मिल उस चाँद की हथेली
दस्तूर रिवाज बन जाए हबीबी की ईदी
सजदा उस आफताब का महकता रहे
सरके जो हिजाब तो महताब निखरता रहे
बस वो छुपा चाँद जो नजर आ जाए
हर रोज़ नमाज़ अदा कर दूँ उस ईद की खुशी
खुदा नज़रें इनयाते कर दे थोड़ी
चाँद नज़र आ जाए मेरी भी सर जमीं
नमाज़ ईद की अदा कर दूँ उसकी सर जमीं
अज़ान बन गूँज उठे हर इबादत मेरी
निहारु जब आसमां दुआ कबूल हो मेरी
रस्म निभाऊ गले मिल उस चाँद की हथेली
दस्तूर रिवाज बन जाए हबीबी की ईदी
सजदा उस आफताब का महकता रहे
सरके जो हिजाब तो महताब निखरता रहे
बस वो छुपा चाँद जो नजर आ जाए
हर रोज़ नमाज़ अदा कर दूँ उस ईद की खुशी