Saturday, October 29, 2011

बैगर

सेतु ऐसा बना

लफ्ज जो ना कह सके

आँखों ने कह दिया

रिश्ता कुछ ऐसा परवान चढ़ा

प्यार के बैगर

सारा जग बेकार लगा

मझधार

हदों को टूटने ना दो

साहिलों को डूबने ना दो

मिलेगा किनारा

मझधार में नैया डूबने ना दो

प्रयास

खुदा नहीं मैं

कोशिश फिर भी करूँगा

हसरतें हो जाये पूरी

प्रयास ये मैं करूँगा

Tuesday, October 25, 2011

दिवाली

दीपों की लड़ी

फूलों की माल

व्यंजनों की बाहर

पटाखों की फुहार

जगमग हुए दिल

रोशन हुई रात

ले आयी दिवाली खुशियों की सौगात

Saturday, October 15, 2011

इजहार

मैं तुम बन जाऊ

तुम मैं बन जाओ

मैं चाँद बन जाऊ

तुम चांदनी बन जाओ

मिलन इस घड़ी

प्यार का इजहार कर जाओ

जब दिल रोया

खफा तुम क्यों हो

मैं जान ना पाया

कोशिश की मगर तुमको हसां ना पाया

तेरी मासूमियत पे प्यार आया

रो पड़ा दिल

पर तेरे चेहरे पे मुस्कान बिखेर ना पाया

Friday, October 14, 2011

अंगीकार

गल हार बन जाऊ

माथे की बिंदिया बन जाऊ

सिंदूर बन मांग में सज जाऊ

करले तू अंगीकार

धड़कन बन दिल में बस जाऊ

काजल बन जाऊ

आँखे बन जाऊ

लहू बन नस नस में समा जाऊ

करले तू अंगीकार

प्यार बन साँसों में घुल जाऊ

Wednesday, October 12, 2011

हमारी याद

जलता रहा विरह अग्नि में

पूरी हुई ना मिलन की आस

लुट गया चैन ओ अमन

पर आयी नहीं उनको हमारी याद

बिखर गया सपना

टूट गयी साँसों की रफ़्तार

जलता रहा विरह अग्नि में

पर आयी नहीं उनको हमारी याद

नया पल

प्रतिक्षण एक नया पल

कुदरत लेती एक नया जन्म

सृष्टि संरचना बदलती पल प्रतिपल

समय के गर्भ समाये जीवन के पल

पल पल ह़र पल

प्रतिपल प्रतिक्षण एक नया पल