Friday, April 15, 2011

जबाब

दर्द बिना


जिन्दगी का अहसास नहीं


जैसे


काँटो बिना गुलाब की पहचान नहीं


गुजरते लहमों में


बचपन की वो बात नहीं


जैसे


गम भुलाने के लिए


खारे आंसुओ का जबाब नहीं

1 comment:

  1. Kayal ji... kam shabdon mein hi aapki kavita bahut khubsurat ban padti hai...

    ReplyDelete