Thursday, January 30, 2014

मुसाफ़िर

मुसाफ़िर हु यहाँ

मंजिल का सफ़र तय करना है

जेहन में संजो रखा जिसे

वृतांत उस परिदृष्य का अविस्मरण्य बने

हर कदम इसलिए संभल कर चलना है

फ़क़ीर हु लकीर का

नामुमकिन कुछ भी नहीं

चलना जब सीख ला दिया संसार ने

चूमने को व्याकुल हो गयी मंजिल को

महत्वकान्छा भरी सपनों कि ए उड़ान फिर

महत्वकान्छा भरी सपनों कि ए उड़ान फिर

Saturday, January 25, 2014

गुलाब

फूलों के इस गुलदस्ते में

तेरी शोखियों से मिलते

रंग बिरंगे गुलाब सजाए है

तेरे हुस्न की ताबीर से

जो मुस्का उठे

वो गुलाब सजाए है

देख चाँद भी जिसे लज्जा जाये

ऐसे गुलाबों से तेरा

कजरा सजाए है

सदा तुम भी महकती रहो

इन गुलाबों कि तरह

सौगात में इसलिए गुलाब सजाए है

Thursday, January 16, 2014

यादों के दीप

उदासी के इस आलम को भी

आपकी यादों के दीप जगमगा रहे है

प्रेरणा स्रोष्त बन

जीवन राह दर्शा रहे है

कमी खलेगी फिर भी आपकी

साया आपका नहीं जो साथ है

बस आपके आशीर्वाद का हाथ ही

हमारे सर पे आज विधमान है

हमारे सर पे आज विधमान है

Monday, January 13, 2014

दरख्तों चिनार

दरख्तों चिनारों से न पूछो उम्र का हाल

कब लील ले इन्हें पता नहीं

लालच में फंसे ये स्वार्थी हाथ

बेबस लाचार है प्रकृति भी आज

किसी तरह बची रहे कुदरत कि आबरू

फरियाद कर रही इसलिए कायनात

विध्वंस हो जायेगी धरती

लग गया जो मेरा श्राप

बस हो सके तो संभाल लो

बचे खुचे दरख्तों चिनार






बेईमान

न पूछों हम से

हमारे घर का पता

ठिकाना हमें मालूम नहीं

पनाह जहा मिली

रात वही गुजार दी

मिजाज मौसम का भी

हर रात बदल जाता है

शाम ढलते ढलते

सूरा का सुरूर छा जाता है

बेफिक्री के इस आलम में

बस एक ही ठिकाना नजर आता है

नीला आसमां छत

और फुटपात घर नजर आता है

पता पूछना इसलिए

बेईमान नजर आता है

बेईमान नजर आता है

आशीर्वाद

आपके अनमोल आशीर्वाद से

जीवन डगर इसी तरह

हर जन्म जगमगाती रहे

ओर अमूल्य धरोहर बन

सही राह प्रदर्शित करती रहे

सुनहरी यादों के दीप

प्रेरणा बन मन मंदिर में बसे रहे

आपके अनमोल आशीर्वाद से

जीवन डगर इसी तरह

हर जन्म जगमगाती रहे

Friday, January 3, 2014

ग़मों के राज

ढूँढता हूँ तलाशता हूँ

मुस्कराते चेहरे के पीछे छिपे

ग़मों के राज तलाशता हूँ

संजीदा जैसे मुँख आभा मण्डल

शांत धैर्यवान चित सुन्दर

धारण किये हुए नहीं कोई

व्यंग बाण दिल के अंदर

फिर भी चमक कहती आँखों कि

सूखे आँसुओ के इस समंदर में

राज कई दफ़न है

इन वीरान बेबस स्थिर आँखों में

झरोखा जो दिल का खुल गया

सैलाब ऐसा आ जाएगा

बह जायेगी जिंदगानी

सन्नाटा हर ओर छा जाएगा

राज इसलिए राज ही रह जाएगा

ग़मों में भी चेहरा

मुस्करता नजर आएगा