Monday, March 11, 2019

एक तरफ़ा

दुनिया मुरीद हैं मेरे अफसानों की

चाँद सितारों से इश्क़ फ़रमानें की

महबूब थी एक चाँद सी कभी

एक तरफ़ा था मगर अंदाज़ ए सफर

रुमानियत भरी थी पर इस दिल अज़ीज़ में

शरारत कहूँ या आँख मिचौली

कभी बन फिरती वो संग जैसे हो कोई हमजोली

कभी बनाता दिल चुपके से उसकी कोई रंगोली

कभी रंगता उसके रंग जैसे छाई हो होली

फ़िदा थी वो मगर किसी ओर की मौसिकी पे

नजरें इनायत थी उनकी किन्ही ओर की दहलीज़ पे

रास ना आयी उनको दिल्लगी मेरी ए

तरस गयी रूह, भटक गयी कहानी ए

ग़ज़ल रह गयी यह आधी अधूरी किसी मोड़ पर

दुआ फिर भी इनायत, उनकी सलामती के लिए हर मोड़ पर  

Wednesday, March 6, 2019

दर्द की लेखनी

लेखनी दर्द की ताबीर बन गयी

अर्थहीन भावनावों की जागीर बन गयी

किस करवट पलटू पन्नों को

किताब अश्कों से भारी हो गयी

जुदा रूह से जो साँसे हुई

हर पन्ने बदरंगी जुबानी हो गयी

रक्त के कतरे से लिखी सजी कहानी

गुमनामी की गलियों में खो गयी

हौले हौले चलती लेखनी कुछ ऐसा लिख गयी

मयखानों से दिलों का नाता जोड़ गयी

दर्द जहाँ अल्फाजों में  सज

महफ़िल की शान बन गयी

लेखनी दर्द की ताबीर बन गयी

अर्थहीन भावनावों की जागीर बन गयी