Thursday, December 17, 2020

साथ

तू हुनरमंद मैं बेफिक्रे आलम l
चल सौदा अहसासों का करते हैं ll

कुछ अजनबी मोड़ से टकरा रही जिंदगी l
दुरस्त बातों जज्बातों को करते हैं ll

सफ़र जो पीछे छूट गया l
वो काफ़िरानों की बस्ती सी हैं ll

बंजारा सा था बेवकूफ़ यह मन l
पिरो ना पाया रिश्तों के पल ll

ठहरा हुआ मंजर खोया खोया आसमां था l
फीके फीके रंग ढले अस्त हो रहा महताब था ll

प्यासे कंठ और रह नहीं सकता l
अवरुद्ध चाहतों को और कर नहीं सकता ll

उजागर कर दू हर वो बात l
तोड़ दू सारे बंधन सारे जज्बात ll

मिल जाए इस सौदे में जो तेरा साथ l
भर दूँ रंग हर गलियों के अहसास  ll  

Monday, December 7, 2020

तज़ुर्बा

तज़ुर्बा ना पूछ ए सोखियाँ l
झुरिआ वयां रही ख्यालों की लड़ियाँ ll

बदल गयी जो रंग जुल्फ़ों के l
वो चाँदनी कम ना थी औरों से ll

लिखें हैं उन्हें खत लाखों हटेलिओं में l
मुरीद थी निगाहें जिनकी परवाज़ों में ll

सुरूर उस साकी का औरों से दूजा था l
हिना सी महकती गुलबदन का आसमां और था ll

कभी पर्दा कभी बेपर्दा अटखेलियाँ करती बेपरवाह l
जादू सा सम्मोहन वश करती उसकी नादानियाँ ll

फ़िसल गए वो वक़्त दरख़्तों की गहराई में l
खुमारी फिर भी उतर ना पायी दिल की गहराई से ll

जिन्दा वो आज भी हैं साँसों की सच्चाई में l
बेताबी वही हैं धड़कनों की परछाई में ll

बेताबी वही हैं धड़कनों की परछाई में l
बेताबी वही हैं धड़कनों की परछाई में ll

Saturday, December 5, 2020

फ़िदा

तू इस शहर की सहर थी I
मैं उस शहर की शाम II

देखा तुझे यूँ अचानक जब अपने दालान I
यूँ लगा जैसे जेहन उतर आया कोई चाँद II

पूछ रहे तुम मुझ से मेरा ही पता I
दिल को भा गया मुसाफ़िर तेरा यह अंदाज़ II

पैगाम लबों पे उनके अब तलक ऐसे ख़ामोश था I
किसी खाब्ब को जैसे किसी चाँदनी रात का इंतज़ार था II

भूल गया पता अपना एक पल को I
ग़ुम हो गया इशारों की परछाई को II

कुछ पल वो ठहरे कुछ कहते कहते अटके I
फिर थमा दामन हाथों में हौले से चल दिए II

बेजान सा खड़ा मैं कुछ समझ ना पाया I
वो जोड़ गयी दिलों के तार कैसे समझ ना पाया II

बस उसकी मुस्कराहट पर फ़िदा हो आया II
बस उसकी मुस्कराहट पर फ़िदा हो आया II

खैरियत

अहसास बस खाली खाली हैं I

तेरे यूँ रुसवा हो चले जाने के बाद II


सहमी सहमी सी मंज़िल हैं I

रुकी रुकी सी जिंदगानी हैं II


आँखों में कुछ नमी नमी सी हैं I

पानी कम दरिया लहू भारी हैं II


दिल रुला के गए तुम ऐसे I

अलविदा दुनिया सारी हैं II


वीरानी दहलीज बदल गयी दिलों के मौसम I

खंडहर तब्दील कर गयी यह दिल बेमौसम II


बची साँसों के पड़ाव आखरी हैं I

ख्वाईश बची हैं बस एक आखरी II


बस पूछ लेना खैरियत तुम मेरी I

गूजरों जब तुम कभी मेरी गली II