Sunday, June 28, 2009

कुदरत

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

तेरे रूप में धरा को नया फूल दिया है

चंदा की चांदनी आफताब की किरणों से

मुख आभा श्रृंगार किया है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

फूलों सा कोमल यौवन से भर पूर

रूप से तुझको संवारा है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

कोयल सी मधुर वाणी चितवन सी मुस्कान

से तुझको नवाजा है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

परियों के देश में रति से हसीन अप्सरा रूप में

हमको रिझाने तुमको भेजा है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

तुमसे हारेगी दुनिया

रूप होगा मोहिनी

यह वरदान दिया है

कुदरत ने आज फिर नया जन्म लिया है

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