Saturday, April 9, 2011

दांव

रफ़्तार भरी जिन्दगी में

जिन्दगी को दफना दिया

छुट गया बचपन पीछे

छुट गए संगी साथी

भुला बिसरा खुद को

जिन्दगी को दांव पे लगा दिया

भीड़ भरे जमघट में

सिक्कों की खनखनाहट में

खुद को भुला दिया

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