Friday, April 15, 2011

बहाने

मुलाकातों के अवसर अक्सर तलाशते है


बातों के लिए बहाने तलाशते है


इश्क में ना जाने


लोग क्या क्या गुल खिला जाते है


चाँद को भी


महबूब के आगे फीका बतला जाते है

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