Thursday, February 28, 2013

अनुभुति

कोरा कागज़ नहीं ये मेरी जान

मेरे दिल का दर्पण है ये मेरी आन

प्रतिबिंब नजर आएगा

रखोगी इसे जब ह्रदय के पास

बंद कर आँखे

फेरोगी जब इसपे हाथ

सुनाई देगा दिल ए मेरा हाल

कोरे ख़त की ये अदृश्य अनुभुति

सचे प्यार का है आगाज

स्पष्ट होने लगेगा हर छिपा पैगाम

फ्रस्फुटित होगा जब ढाई आखर का ज्ञान

तुम ही हो मेरे दिल की हमराज

कोई ओर जान ना पाये ये राज

भेज दिया इसलिए

कोरे कागज़ पे उभार दिल ए हाल

सुननी हो जो अपनी धड़कने

मेरी धडकनों के नाल

रखना सदा इसे अपने दिल के पास

कोरा कागज़ नहीं ये मेरी जान

मेरे दिल का दर्पण है ये मेरी आन

कोरा कागज़ नहीं ये मेरी जान

Wednesday, February 27, 2013

गणित

अंकों का है सारा गणित

संयम का है ये संगीत

है इसके खेल निराले

कहीं जुड़े कहीं घटे

बने नये नये अंकों के गीत

पहेली बन सुलझादे

गर्भ गृह में छिपे

गुणनफल और वर्गफल के तीर

अद्भुत बड़ी इसकी सरंचना

शून्य बिना नहीं इसकी महिमा

खेल खेल में ही बन जाये

इसके रूप रंग की रेखा

निखर आये संगीत की धुन

मिल जाये जब हल से पुस्तिका

मिल जाये जब हल से पुस्तिका




 

Monday, February 25, 2013

भाषा

वो नयनों की भाषा

ना जाने क्या कह गयी

ख़ामोशी से

इस दिल में

घर बना गयी

वो चंचल कामिनी सी काया

ना जाने क्या जादू चला गयी

रूह बन

इस जिस्म में समा गयी

वो चहकती नादानियाँ

ना जाने क्या गुल खिला गयी

धड़कन बन

इन साँसों में समा गयी

वो नयनों की भाषा

ना जाने क्या कह गयी
 

Friday, February 22, 2013

तेरी याद

सुबह की खिलखिलाती गुनगुनी धुप

याद तेरी ले आयी

फिजाओं में  बिखरी तेरी खुशबू

साँसों में समा आयी

ओस में लिपटा गुलाब

लबों की मुस्कान बन आयी

सुबह की खिलखिलाती गुनगुनी धुप

याद तेरी ले आयी

 

चाहतों के रंग

रंग चाहतों के बदल गए

मायने जिन्दगी के बदल गए

दिलों में कुछ लबों पे कुछ

रंग चाहतों के बदल गए

वो बेकरारी नहीं जुस्तजू नहीं

रंग जो चाहतों की शोखियों में हुआ करते थे

रंग चाहतों के बदल गए

मायने जिन्दगी के बदल गए

रूह नहीं जिन रंगों में

सज रही वो महफ़िल आज भी

झलकती पर उनमे सिर्फ

बदले जमाने के रंगों की चाल ही

बदले जमाने के रंगों की चाल ही

  

Friday, February 15, 2013

शौहरत

गुम थी गुमनामी में शौहरत की बात

मजबूर ऐसे थे हालात

मुखर हो ना पाती थी दिल की बात

व्यंग बाण हँसते हुए सहते थे

जुबाँ अपनी पर बंद रखा करते थे

पर था अपने पे दृढ़ विश्वास

मेहनत के बल बदल दूँगा हालत

शौहरत भी इतराएगी

देख किस्मत के बदले मिजाज

लेकिन आज गुम थी गुमनामी में शौहरत की बात

गुम थी गुमनामी में शौहरत की बात







 

Thursday, February 14, 2013

कौन सा रंग

रंग ना जाने कौन सा चढ़ा

मेहंदी का रंग भी सुर्ख लाल हो गया

आँखों में छिपी शैतानिया का रंग

शरमो हया सा गाल गुलाबी हो गया

महफ़िल सजी जिसके रंगों से

उस रंग का दिल गुलाम हो गया

रंग ना जाने कौन सा चढ़ा

हर नजारा रंगीन हो गया

फिजाओं में भी घुल गया रंग

कल्पनाओ का संसार रंगीन हो गया

मस्ती उमंग के रंगों से

साज जिन्दगी का रंगीन हो गया

रंग ना जाने कौन सा चढ़ा

मेहंदी का रंग भी सुर्ख लाल हो गया

 

Tuesday, February 12, 2013

मीठी मीठी

जिन्दगी हर पल मीठी होती है

पर कभी कभी बेमजा ये बेकार होती है

कुछ खट्ठी खट्टी कुछ मीठी मीठी होती है

हर पल ये एक नयी पहेली होती है

मिल बैठ जो ग़मों को बाँट ले

तो जिन्दगी फिर हर पल मीठी हो जाती है

दर्पण है ये जिंदगानी का

जैसे निहारों

अक्स वैसा दिखलाती है

सफ़र के हर पड़ाव में

सबक नया सिखलाती है

मिल बैठ जो ग़मों को बाँट ले

तो जिन्दगी फिर मीठी मीठी हो जाती है











 

बजट

किया मंत्री महोदय ने बजट ऐसा पेश

जायका सारा बिगाड़ दिया

महँगाई से त्रस्त अवाम को

तोहफा नायाब दे दिया

बड़ा राशन की कीमतें

निवाला भी मुँह से छीन लिया

देश का भविष्य जब इन जैसे कर्णधारों के हाथ

फ़िक्र कैसे हो उन्हें इस अवाम की

इसीलिए किया बजट में ऐसा प्रावधान

खुद की जनता को भूखे रख

सरकार करेगी अनाज का निर्यात

ताकि लहलहा सके

इन कर्णधारों के खजाने की पैदावार

कहा देश हित में है यह बलिदान

वरना देश हो जायेगा कंगाल

एक वक़्त के अनाज से भी

महरूम रह जायेगी अवाम

अगर नहीं हुआ अनाज का निर्यात