Thursday, April 25, 2013

जीवन साख

व्यस्त हूँ उलझा हूँ

जिन्दगी के नये पन्नों में खोया हूँ

उलट रहा हूँ पलट रहा हूँ

जीवन अंकुर इन पृष्ठों में टटोल रहा हूँ

समेट रहा हूँ सच्चे भावार्थ को

काव्य रचना बन संवर आये जीवन साख जो

बैठू कभी उदास जो

खोल पढ़ लू इस किताब को

खोल पढ़ लू इस किताब को

 

Thursday, April 18, 2013

सता के रखवाले

लुट लिया देश सता के रखवालों ने

बेच दिया जमीर सता के इन दलालों ने

रिश्वतखोरी के अंधेपन में

डुबो दी नैया इन चोरों के सरदारों ने

फूट गयी किस्मत देश की

इन पापी कर्णधारों की कारगुजारियो से

सरेआम नीलामी करवा दी

आबरू देश की

आतंकियों के हाथों से

बन कठपुतली दुश्मन देश की

थोप दिया जंगल का कानून

शैतानों की इन सरदारों ने

शैतानों की इन सरदारों ने

Wednesday, April 10, 2013

पुत्री

मेरी जिन्दगी के किताब की

तुम वो कविता हो

बार बार पढ़ने को

दिल जिसे चाहता है

तेरे शब्दों की मिठास में

घुल जाने को जीवन चाहता है

प्रेरणा हो तुम इस जीवन की

रेखांकित की जिसने

पिता पुत्री के प्यार की भाषा

बन इस घर मंदिर की आशा

धन्य हो गया जीवन मेरा

पा तेरी जैसी गुणवती छाया 

नजरे

नजरे इनायत हो अगर कुछ इस तरह

तुम महताब बन जाओ

मैं आफताब बन जाऊ

चाँदनी में मेरी

दीदार तेरा

गुलाब सा महका महका  हो

शरमो हया में लिपटी कोई अप्सरा

जैसे घूँघट में ओर लाजबाब हो

नजरे इनायत अगर कुछ इस तरह हो 

Sunday, April 7, 2013

रागिनी का अग्निपथ

जिस्म तपे रूह जले

अग्निपथ चल ही जीवन निखरे

रागिनी

विजय पथ कर रहा तेरा आह्वान

कर बस में उछ्रंख्ल मन

समेट आंसुओ का सैलाब

इस रण भूमि का

जीत से कर आगाज

नंगे कदम अंगारों पे चल ही

देना होता है जिन्दगी का इम्तिहान

कर इतना हौसला बुलंद तू

कांटे भी बन जाए फूलों की राह

तपेगी तभी कनक बनेगी

जान पायेगी तभी कामयाबी का स्वाद

रागिनी

अभियान है ये खुद पे इतराने का

हर संजोये खाब्ब सच कर जाने का

कर जीत से नये जीवन का आगाज

अभिमान हो सबको तुम पे

फक्र से करे सभी तेरा सन्मान



 

Saturday, April 6, 2013

नींद

नींद आँखों से कोसों दूर थी

पर तेरी बाहों के आलिंगन में

अपनी दुनिया टटोल रही थी

मिट जाए इस दरमियाँ सारे फ़ासले

प्यार भरे वो सपने संजो रही थी

खुली आँखों से

मन ही मन तस्वीर तेरी बुन रही थी

ताकि तस्वीर तेरी ही दीखे इन आँखों में

खाब्ब हसीन वो बुन रही थी

ओर नींद आँखों से कोसों दूर थी

दोस्ती की बहार

बातों के जज्बातों में जब बात चली

दो अजनबियों बीच दोस्ती की मिठास बड़ी

एक ही सफ़र के दोनों हमसफ़र

मिले जब अनजाने में

दोस्ती की चाह ओर बड़ी

उम्र की दहलीज ने

डाल रखी रिश्तों की बेड़ियाँ थी

पर सीमित दायरे की परिधि से भी

महक रही दोस्ती की मिठास थी

छोटे छोटे जज्बातों ने

रंग दी दोस्ती की हतेलियाँ थी

जो रच बस दिलों में

खिला रही थी दोस्ती की बहार नयी