Sunday, July 28, 2013

पेड़

पेड़ दरख्त कहते है

मेरी भी सुनते जाओ

सुध मेरी भी लेते जाओ

सिर्फ नारों से काम नहीं होता

वन बचाओं पेड़ लगाओ

ओर विकास के नाम

गर्दन मेरी रेंत डालों

अगर करनी ही रक्षा प्रयावर्णन की

कुदरत के विनाश से

तो दे दो जीने का अधिकार मुझे

नहीं तो ध्वंस हो जायेगी

सारी कायनात सृष्टि के प्रकोप से 

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