Wednesday, February 12, 2014

हृदय परिवर्तन

हृदय परिवर्तन कि

तू भी अभिलाशा रख हे मानव

जब एक प्रहार में

पत्थर बदल अपना स्वरुप

लग मंदिर में खुदा कहला सकता है

जड़ अँगूठी में हीरा कहला सकता है

फिर क्यों नहीं तुम बदल सकते

अपना ये घिघौना स्वरुप

उतार दो मुखौटे को

धारण करलो कुदरत का सच्चा स्वरुप

धारण करलो कुदरत का सच्चा स्वरुप

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