Thursday, March 8, 2018

हसीं

उनकी एक हसीं से रंगों के गुलाल खिल गये

अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये

चेहरे से नक़ाब जो सरक गया

तमस को चीर आफ़ताब खिल गये

बरसते लावण्य में भींगे सौंदर्य से

जैसे रूप अप्सरा यौवन खिल गये

देख मदहोशी की इस मधुशाला को

फिजाँ भी नशे में बल खाकर बहकने लगे

मानो वक़्त से पहले ही

चमन में सावन झूमने लगे

चमन में सावन झूमने लगे

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-03-2017) को "कम्प्यूटर और इण्टरनेट" (चर्चा अंक-2905) (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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