Thursday, September 20, 2018

नावाकिफ़

इस अंजुमन में एक कसक अभी बाकी हैं

तेरे से इश्क़ लगाने की उम्र अभी बाकी हैं

अहसासों का रूह से मिलन अभी बाकी हैं

शायद अरमानों के ताबीर से

इसे रूबरू होना अभी बाकी हैं

हृदय एकाकार हो

अंगीकार की मिलन बेला अभी बाकी हैं

क्योंकि पूर्णमासी की रात अभी आनी बाकी हैं

इस दिल के दरम्यां एक बात बहुत पुरानी हैं

तस्वीर तेरी छिपा रखी इस तिल्सिम में

ज़माना तो क्या तू भी इस खबर से

अब तलक नावाकिफ़ हैं

क्योंकि दीवानगी  कच्ची उम्र

अभी सयानी होनी बाकी हैं

अभी सयानी होनी बाकी हैं

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