Friday, May 10, 2019

दरार

तूने दिल में छुपा ली दिल की बात

कैसे खोलूँ रिश्तों की उलझी गाँठ

क्यों ना हम अब उगले दिलों के राज

बच जाए शायद टूटने से रिश्तों के तार

नाज़ुक धागों से अटकी हैं इन साँसों की जान

शीशें सी कही चटक ना जाए यह चाल

पिरोई नहीं जाती रिश्तों में कोई गाँठ

कैसे बंधी कैसे पड़ी भूल इसे रात की गात

दिलों के इस सफर में

क्यों ना बैठे हम तुम दोनों मिलके आज

खोल दिलों से दिलों के हर राज

भर दे रिश्तों में पड़ी अनचाही दरार


Saturday, May 4, 2019

सपनों की कश्ती

बारिश बिन तेरे अधूरी हैं

भीगूँ कैसे

आँचल से तेरे दुरी हैं

बूंदों में इसके

तेरे तपिश की जमीं हैं

फूलों के कपोल पे जैसे

मोतियों सी लड़ जड़ी हैं

फ़ुहारों ने इसकी समेटी

यादों की अपनी बस्ती हैं

पर फ़लक से आसमां तक

तेरे ही रंगों की मस्ती हैं

दिल आतुर मिलने तरसे

बारिश की बूंदों में ढूंढ़े

अपने सपनों की कश्ती हैं

अपने सपनों की कश्ती हैं 

मेघ

बादलों ने छेड़ी ऐसी मधुर तान

बरस आए मेघा सुर और ताल

उमड़ घुमड़ घटाएँ घनघोर

मिला रही नृत्य पद्चाप

कही सप्तरंगी इंद्रधनुषी छटाएँ

कही थिरक रहे बिजली के तार

आनंद उन्माद शिखर

बरस रहे बादलों के अंदाज़

हो मेघों की सरगम पे सवार

फिज़ा भी चल पड़ी मदमाती चाल

मेघों की इस राग में

कुदरत ने ले लिया एक नया अवतार

बरस रही मेघा

सज रहे सुर और ताल